दो घर के मालिक हैं? जानें बदले नियमों का आप पर क्या होगा असर
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में कई घोषणाएं की हैं, जिनमें से एक यह है कि अगर आपके पास दो घर हैं और दूसरा घर खाली है, तो उसे भी सेल्फ-ऑक्युपाइड (अपने ही अंदर) ही माना जाएगा और आपको नोशनल रेंट (काल्पनिक किराये) पर टैक्स नहीं देना होगा। वर्तमान में अगर आपके पास एक से अधिक घर हैं तो उनमें से एक ही घर सेल्फ-ऑक्युपाइड और दूसरा घर किराये पर दिया हुआ माना जाता है, जिसके नोशनल रेंट पर टैक्स देना पड़ता है।
डेलॉयट इंडिया की पार्टनर ताप्ति घोष कहती हैं कि आयकर अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक टैक्सेबल इनकम की गणना करते वक्त हाउसिंग लोन के इंट्रेस्ट पर डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। सेल्फ ऑक्युपाइड होम के लिए इस डिडक्शन की लिमिट दो लाख रुपये है जबकि किराये पर दिए गए घर के मामले में डिडक्शन के तौर पर ब्याज की रकम की ऊपरी सीमा नहीं है। हम इसे एक उदाहरण से समझते हैं। माना एक व्यक्ति के पास दो घर हैं, जिनके लिए अलग-अलग होम लोन लिए गए हैं।
सेल्फ ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी के लिए हाउसिंग लोन के इंट्रेस्ट पर डिडक्शन के रूप में दो लाख रुपये तक का दावा किया जा सकता है जबकि किराये पर उठाई गई प्रॉपर्टी के मामले में डिडक्शन की कोई सीमा नहीं है। यदि कैलकुलेशन में दो प्रॉपर्टी से नुकसान आता है तो इनकम के अन्य स्रोतों से अधिकतम 2 लाख रुपये सेट-ऑफ कर सकते हैं। बाकी की रकम 8 आकलन वर्षों के लिए कैरी फॉर्वर्ड की जा सकती है।
दोनों घरों की आय से होम लोन पर पूरे ब्याज को डिडक्शन के तौर पर क्लेम किया जा सकता है। ब्याज की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। हालांकि, कैलकुलेशन में दो प्रॉपर्टियों से नुकसान होने पर इनकम के दूसरे स्रोतों से अधिकतम 2 लाख रुपये सेट-ऑफ किया जा सकता है। बची हुई रकम 8 निर्धारण वर्ष में कैरी फॉर्वर्ड की जा सकती है।
अगर आपके पास दो मकान हैं तो एक को सेल्फ-ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी जबकि दूसरा मकान अगर खाली है, तो भी उसे किराये पर दिया हुआ माना जाता है। घोष ने कहा कि करदाता अपनी इच्छा से चुन सकता है कि किस प्रॉपर्टी को वह सेल्फ-ऑक्युपाइड के तौर पर रखेगा। जिस प्रॉपर्टी से उसे ज्यादा लाभ हो सकता है, वह उसे चुनने के लिए आजाद है।
अंतरिम बजट में क्या बदलाव?
अंतरिम बजट 2019 में यह प्रस्ताव किया गया है कि दोनों घरों को सेल्फ-ऑक्युपाइड माना जाएगा और इस मामले में नोशनल इनकम नहीं लगेगा। दोनों घरों के होम लोन के कुल ब्याज पर दो लाख रुपये तक के डिडक्शन का दावा किया जा सकता है।
आपकी टैक्स सेविंग पर असर
लक्ष्मीकुमारन ऐंड श्रीधरन अटॉर्नीज में पार्टनर एस. वासुदेवन का कहना है कि संशोधन से करदाता को ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है। इसके दो कारण हैं। पहला, होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन की सीमा। दूसरा, दो घरों से हुए कुल नुकसान को बाद के वर्षों में कैरी फॉर्वर्ड करने पर पाबंदी। नए प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के बाद ब्याज का डिडक्शन 2 लाख रुपये तक सीमित हो जाएगा। साथ ही टैक्सपेयर नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड नहीं कर पाएंगे। इस तरह उन्हें ज्यादा टैक्स देना होगा।