मध्य प्रदेश में हार की समीक्षा के बीच सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मुहिम

मध्य प्रदेश में हार की समीक्षा के बीच सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मुहिम

भोपाल
गुना-शिवपुरी से लोकसभा चुनाव हार चुके कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालनी चाहिए. इस तरह की मांग अब कांग्रेस के एक खेमे से उठ रही है. सिंधिया समर्थक अपने नेता की प्रदेश वापसी चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक हालात बता रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव सिंधिया को राज्यसभा में ले जाने का रास्ता तय हो रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ यहां अपने खास समर्थक आदिवासी नेता बाला बच्चन को प्रदेश की कमान सौंप सकते हैं.

संगठन सरकार में तालमेल


लोकसभा चुनाव में हुई बुरी हार के बाद कांग्रेस में समीक्षा और मंथन का दौर जारी है. मुख्यमंत्री  के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल रहे कमलनाथ अब पद छोड़ेंगे. चुनाव का दौर खत्म हो चुका है और अब संगठन को किसी मोर्चे पर नहीं लड़ना है. अब आलाकमान संगठन में कसावट और बदलाव के मूड में है. इन हालात को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस में अब ऐसे नेता को अध्यक्ष पद की कमान दी जा सकती है, जो सरकार के साथ ठीक से तालमेल रखे और संगठन को खड़ा करे.

राज्यसभा जाएंगे सिंधिया?

सिंधिया राष्ट्रीय नेता हैं. कांग्रेस के उन खास सांसदों में शुमार हैं जो संसद से लेकर सड़क तक मोदी सरकार पर सीधा हमला बोलते हैं. उनके समर्थकों का दावा है कि पार्टी को उनकी जरूरत दिल्ली में है. वर्ष 2021 तक राज्यसभा में मोदी सरकार बहुमत में नहीं है, जिसका फायदा कांग्रेस उठाना चाहती है. लोकसभा में तो इस बार भी नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को नहीं मिल रहा है. हालांकि, साल 2020 में राज्यसभा में पद खाली हो रहे हैं. मध्य प्रदेश से इस बार दो पद राज्यसभा में होंगे.

आदिवासी नेता की जरूरत
मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक नई आदिवासी लीडरशिप तैयार करना चाहती है. दिग्विजय सिंह समर्थक कांतिलाल भूरिया चुनाव हार चुके हैं. उनके बेटे को विधानसभा का टिकट दिया गया था. वह भी चुनाव हार गए. बाला बच्चन निमाड़ क्षेत्र के नेता हैं और वर्तमान में कमनलाथ कैबिनेट में गृह मंत्री हैं. मुख्यमंत्री उनसे इस्तीफा लेकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपने की तैयारी में हैं.

संगठन की हालत खराब
बाला बच्चन पहले भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और सिंधिया गुट की तब भी उनके नाम पर सहमति थी. मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन की हालत खराब है. कई वर्षों से यहां जिला स्तर पर नई नियुक्तियां नहीं हुई हैं. कांग्रेस की कई इकाइयां सक्रिय नहीं हैं. सेवादल, एनएसयूआई, यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस जैसे संगठन पस्त हैं.

नेटवर्क खड़ा करना
15 साल बाद प्रदेश में सरकार में लौटी कांग्रेस को अब उम्मीद है कि वह अपने संगठन में नई जान फूंक सकती है. लेकिन उसके लिए उसे पंचायत से लेकर ब्‍लॉक तक कांग्रेस का नेटवर्क खड़ा करना होगा. यह तभी संभव है जब प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री का विश्वस्त हो. संगठन और सरकार एक दिशा में चलें.

सिंधिया आना नहीं चाहते
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि सिंधिया स्वयं भी फिलहाल प्रदेश में वापसी नहीं करना चाहते हैं. वह कांग्रेस के स्टार कैंपेनर रहे हैं. उनकी क्षमता को ब्लॉक और जिले की नियुक्तियों के झगड़े में नहीं लगाया जा सकता. सिंधिया मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे हैं. उन्हें यह जिम्मेदारी दी भी गई तो वह चुनाव के वक्त होगी.

फैसला राहुल गांधी पर
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी शेखर कहते हैं कि चुनाव में हार के बाद समीक्षा हुई है. अध्यक्ष कौन होगा इसका फैसला तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही करेंगे. अभी कोई भी नाम चर्चा में नहीं है.