महाराष्ट्र में विकसित होगा छत्तीसगढ़ का वन मॉडल

रायपुर
 घोर पर्यावरण संकट का लंबे समय से सामना कर रहे महाराष्ट्र को हरा-भरा बनाने में छत्तीसगढ़ी वन मॉडल मदद करेगा। दो दिवसीय प्रवास पर आए महाराष्ट्र शासन के शिष्ट मंडल ने यहां के वानिकी वन मॉडल को अपने यहां विकसित करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए शिष्ट मंडल यहां के पौधरोपण व ऑक्सीजोन तकनीक का अध्ययन करने के बाद उसकी कॉपी अपने साथ ले गया है।

विनोद खारगे सचिव वन विभाग महाराष्ट्र शासन के नेतृत्व में आए तीन सदस्यीय वन अधिकारियों के दल ने दो दिन छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में भ्रमण कर यहां की वानिकी तकनीक का अध्ययन किया।

अधिकारियों ने यहां यह समझने का प्रयास किया कि वह कौन-सी तकनीक है, जिससे रोपण के बाद पौधों को अधिकाधिक संख्या में बचाया जा सकता है? अधिकारियों ने रायपुर, धमतरी, महासमुंद, थानौद आदि स्थानों का भ्रमण किया और रायपुर के निर्मित व निर्माणाधीन ऑक्सीजोन की पड़ताल भी की।

वन अधिकारी व वन सचिव ने यहां की तकनीक की खुले मन से सराहना की और कहा कि वे अपने प्रदेश में इस तकनीक का प्रयोग का महाराष्ट्र को विकसित करने का प्रयास करेंगे। वन सचिव छत्तीसगढ़ी वानिकी मॉडल व ऑक्सीजोन की कापी अपने साथ ले गए हैं। छत्तीसगढ़ के वन मॉडल की सराहना कई प्रदेशों में हो रही है ओर यहां के वन मॉडल को अपनाया जा रहा है।


महाराष्ट्र के शिष्टमंडल ने देखा थानौद का पौधरोपण

मराष्ट्र शासन के वन सचिव विनोद खारगे व उनके साथ आए शिष्टमंडल ने शनिवार की शाम थानौद के पौधरोपण मॉडल का निरीक्षण किया और उसकी बारीकी से परिचित हुए।


महाराष्ट्र से आए अधिकारियों ने देखा कि किस तरह यहां फिनिसिंग के बाद पौधरोपण किया जाता है और उनके बचने के औसत को 70 फीसद से अधिक रखा जाता है। निरीक्षण के दौरान मुख्य वन संरक्षक अरुण पांडेय, वन मंडलाधिकारी उत्तम गुप्ता सहित वन विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।