महीने भर की प्‍लानिंग, फिर यूं चीन को गच्चा देकर भारत ने हासिल की बड़ी बढ़त

महीने भर की प्‍लानिंग, फिर यूं चीन को गच्चा देकर भारत ने हासिल की बड़ी बढ़त

नई दिल्‍ली
पूर्वी लद्दाख से लगी सीमा पर जब से तनाव शुरू हुआ है, चीन की सेना पहली बार खुद को पूरी तरह बैकफुट पर पा रही है। 29-30 अगस्‍त की रात को भारतीय जवानों ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर अहम पोजिशंस पर पैठ जमा ली। रेजांग ला के पास महत्‍वपूर्ण चीनी पोस्‍ट्स पर भारत की नजर है। भारतीय सेना ने मुताबिक उसने चीनी सैनिकों को इस ओर बढ़ता देख कार्रवाई की। जिन ऊंचाइयों पर आज भारतीय सेना की मौजूदगी है, वहां तक पहुंचने की प्‍लानिंग करीब महीने भर तक चली। रात ही रात में जवानों ने पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया। सुबह जब चीनी सेना के जवान कब्‍जा करने पहुंचे तब उन्‍हें एहसास हुआ कि इस बार भारत ने गच्‍चा दे दिया।

बातचीत चल रही थी...प्‍लान बन रहा था
भारत और चीन के बीच, 30 जून को कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत के बाद उम्‍मीद थी कि चीन पीछे हटेगा। हालांकि चीनी सेना से अच्‍छी तरह वाकिफ भारतीय सेना ने बैकग्राउंड में प्‍लानिंग जारी रखी। द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में सेना के एक सूत्र ने कहा कि 'हर कदम के लिए सेना के पास प्‍लान होता है। बातचीत फेल होने पर ही प्‍लानिंग शुरू नहीं होती। कब उनपर अमल करना है, ये अहम है।' 14 जुलाई तक चार राउंड बातचीत हो चुकी थी। ये साफ हो चला था कि चीन गोगरा पोस्‍ट, हॉट स्प्रिंग्‍स और पैंगोंग के उत्‍तरी तट पर फिंगर एरियाज से पीछे नहीं हटेगा। जब 2 अगस्‍त की बातचीत में भी चीन का वही रुख रहा तो भारत ने समझा कि अब कुछ करने का वक्‍त आ गया है।

छोटी से छोटी बात का रखा गया ध्‍यान
फाइनल प्‍लान 15 दिन पहले ही तैयार कर लिया गया था। अखबार ने सूत्र के हवाले से लिखा कि लोकल कमांडर्स दिल्‍ली आए और प्रजेंटेशन दिया। सेना की टॉप लीडरशिप और फील्‍ड पर मौजूद अधिकारी एक साथ बैठे। ड्रॉइंग बोर्ड पर प्‍लान उकेरा गया। अपनी ताकत और चीन की कमजोरियों को पिनपॉइंट किया गया और कहां पर ऐडवांटेज लेना है, ये तय हुआ। हर छोटी से छोटी डीटेल का ध्‍यान रखा गया। ऑपरेशन को अंजाम देने से कुछ वक्‍त पहले ही पॉलिटिकल लीडरशिप से अनुमति ली गई।

स्‍पेशल फोर्स के कमांडोज ने की अगुवाई
भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए ब्‍लैक टॉप और हेलमेट टॉप के चारों तरफ पोजिशंस बना ली हैं। पैगोंग के दक्षिणी तट पर मौजूद हर ऊंचाई एक-एक यूनिट को असाइन की गई थी। ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सेना के अलावा इंडो-तिब्‍बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) और स्‍पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) के जांबाज उपलब्‍ध थे। SFF कमांडोज ने कई जगह पर ऑपरेशन को लीड किया और मिशन पूरा किया।