एमपी में फेल हो सकता है राहुल गांधी का गुजरात फार्मूला.!
ग्वालियर
एमपी फतह करने के लिए राहुल गांधी ने भले ही प्रदेश में गुजरात फार्मूला लागू किया हो और इसके लिए पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का हाथ मजबूत करने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हों लेकिन ये कार्यकारी अध्यक्ष सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को साधने का प्लान मात्र है.
कांग्रेस ने मौजूदा तीन विधायकों और 2003 में चुनाव में हार चुके एक नेता को पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है, यानि कि आगामी चुनाव में ये चारों चेहरे पार्टी की सेवा कम और अपने विधानसभा में ज्यादा फोकस करेंगे. और यहीं अब कांग्रेस पार्टी की ब़ड़ी चिंता बन गई है जिसे कांग्रेस के नये अध्यक्ष भी जाहिर करने से नही चूक रहे हैं.
कांग्रेस ने प्रदेश में जिन चार चेहरों को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है उनमें पिछड़ा वर्ग के वोटबैंक को साधने के लिए मालवा से जीतू पटवारी और चम्बल से रामनिवास रावत अनुसूचित जनजाति वोटों को साधने के लिए निमाड़ के बाला बच्चन और अनुसूचित जाति से आने वाले बुंदेलखंड के नेता सुरेंद्र चौधरी शामिल है.
अब चारों कार्यकारी अध्यक्षों के साल 2013 के चुनाव की परफार्मेंस पर नजर डालें तो श्योपुर के विजयपुर सीट से विधायक रामनिवास रावत ने महज 2 हजार 149 वोट से जीत हासिल की. बड़वानी के राजपुर सीट से बाला बच्चन ने 11 हजार 196 वोट से जीत हासिल की. इंदौर के राउ से जीतू पटवारी 18 हजार 559 वोट से जीत हासिल की. सागर के नरयावली से सुरेंद्र चौधरी को 16 हजार वोटों से हार मिली. यानि कि इस बार भी चारों कार्यकारी अध्यक्ष अपने विधानसभा सीट पर फोकस कर कब्जा बरकरार रखने और जीत के लिए तैयारी में जुटे हैं. ऐसे में पार्टी इन्हें कोई जिम्मेदारी से बचने की कोशिश में जुटी है.
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस की जीत के लिए प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने पार्टी नेताओं को संगठन पद छोड़ने की सलाह दी थी, ताकि वो अपने विधानसभा क्षेत्र पर फोकस कर सकें.