भाजपा ने किया 'मिशन 40' का आगाज, मप्र में भी होगा प्रयोग!

भोपाल, उत्तर प्रदेश के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे योगी आदित्यनाथ की उम्र 49 साल है। उत्तराखंड में चुनाव हारने के बाद भी दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए जा रहे पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल है। गोवा में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे डॉक्टर प्रमोद सावंत की उम्र 48 साल है। यह तीन प्रमुख नाम काफी हैं यह जानने के लिए कि भाजपा कितनी तेजी से दूसरी कतार को ऊपर उठा रही है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक प्रयोग है जो कि 50 साल से कम उम्र के इन नेताओं को दूसरी बार उनके राज्य की सत्ता सौंपी जा रही है। भाजपा और उसकी नीति निर्धारण करने वाले अन्य संगठनों से जुड़े प्रमुख लोग मानते हैं कि भाजपा की सेकंड लाइन लीडरशिप को मजबूती से तैयार करने का दौर चल रहा है।
मप्र में पार्टी नेताओं की धडकन तेज
मप्र में भी अगले साल चुनाव होना है, जिसके लिए पार्टी ने तैयारी भी शुरू कर दी है। सूत्र बताते हैं कि यहां भी आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के इस निर्णय का असर दिखेगा। जानकारों के अनुसार नेताओं को इसके बारे में जानकारी भी है, जिससे भाजपा के अंदरखाने हलचल भी तेज हो गई है। मप्र के कई भाजपा नेताओं ने इसकी तैयारी पहले से कर ली है और अपने उत्तराधिकारी भी तैयार कर लिए है, लेकिन अभी हाल में प्रधानमंत्री मोदी के के एक बयान ने नेताओं की धडकन तेज कर दी। जब उन्होंने कहा कि मैने नेताओं बेटों की टिकट कटवाई और यहां परिवारवाद नहीं चलेगा।
तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उम्र 50 साल से कम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि हर राजनीतिक दल को भविष्य के हिसाब से अपने नेतृत्व और नेतृत्व करने वाली क्षमताओं का आकलन तो करना ही चाहिए। इस लिहाज से अगर भाजपा अपनी सेकंड लाइन को मजबूत करके उनको आगे बढ़ा रही है तो यह भविष्य के लिहाज से बेहतर ही है, हालांकि यह एक सतत प्रक्रिया है। जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बहुत करीब से समझने वाले राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि आप बहुत पीछे न जाइए। सिर्फ इसी साल हुए विधानसभा के पांच राज्यों के चुनावों में जिम्मेदारी निभाने वाले नेताओं का ही आकलन कर लीजिए, तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि भाजपा भविष्य कि राजनीति में किस तरह निवेश कर रही है। कहते हैं कि तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उम्र 50 साल से कम है। खास बात यह है कि यह सभी नेता दूसरी बार अपने राज्य की बागडोर संभालने जा रहे हैं।
यूपी की राजनीतिक प्रयोगशाला की कुछ मिसालें
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर प्रदेश को हमेशा से राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता रहा है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, इसी प्रयोगशाला को आप 2013-14 से समझना शुरू कीजिए तो आपको पता चलेगा कि अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया जाता है। लोकसभा में बंपर जीत के बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैं। ठीक इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनावों में जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया जाता है और उत्तर प्रदेश में रिकार्ड मतों से भाजपा जीतती है। बाद में नड्डा को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है। वह कहते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनावों में जिस तरह धर्मेंद्र प्रधान ने अपनी भूमिका निभाई है, वह भी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक प्रयोगशाला में चमक कर बाहर आए हैं। ऐसे में यह तय है कि निश्चित तौर पर धर्मेंद्र प्रधान के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ बेहतर ही सोचा होगा। उनका अनुमान है कि उड़ीसा में धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी और उत्तर प्रदेश में उनके रणनीतिक कौशल का फायदा भी चुनावों के दरमियान मिलेगा।
चुनाव हारने के बाद भी विस्वास कायम
भाजपा को करीब से समझने वाले कहते हैं कि भाजपा शुरू से ही दूसरी लाइन के नेताओं को आगे बढ़ाती रही है। अटल-आडवाणी के दौर में भी ऐसा देखा गया और अब भी देखा जा रहा है। उनके मुताबिक अब लीडरशिप को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है और जहां जरूरत होती है उन्हें पद से हटा दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर वह कहते हैं कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार जाते हैं, बावजूद उसके केंद्रीय नेतृत्व उन्हें नेता मानते हुए दोबारा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लेती है। वह कहते हैं कि चूंकि अब पार्टी सत्ता में है इसलिए उनके ऐसे फैसले सीधे जनता तक अपनी छाप छोड़ रहे हैं। वहीं धर्मेंद्र प्रधान के साथ 47 वर्षीय केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी उत्तर प्रदेश के चुनावों में अपनी नेतृत्व क्षमता का न सिर्फ परिचय दिया बल्कि उसे परिणाम में भी बदला है। जो अनुराग ठाकुर के राजनैतिक करियर में अब मील का पत्थर साबित होने वाली है।
दूसरी कतार के नेताओं को आगे बढ़ाने की योजना
राजनीति के जानकारों के अनुसार भाजपा ने सभी राज्यों जिसमें उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम के सभी प्रदेश शामिल हैं, उनकी दूसरी कतार के नेताओं को आगे बढ़ाने की योजना तो बनाई हुई है। इन नेताओं में दक्षिण भारत के युवा नेता तेजस्वी सूर्या, लद्दाख के सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल, नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देब, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्र में मंत्री किरण रिजिजू, स्मृति ईरानी के अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं। हालांकि बृजेश शुक्ला कहते हैं इन नेताओं के अलावा भी भाजपा के पास और भी बहुत से युवा नेता हैं, जिन्हें पार्टी और संगठन भविष्य में दी जाने वाली जिम्मेदारियों के लिहाज से देख रहा है।