ईश्वरा महादेव: यहां अदृश्य शक्ति करती है भोलेनाथ की पूजा, जानिए कहां है यह रहस्यमयी शिव मंदिर  

ईश्वरा महादेव: यहां अदृश्य शक्ति करती है भोलेनाथ की पूजा, जानिए कहां है यह रहस्यमयी शिव मंदिर  

बृजेश कुमार शर्मा
मुरैना/पहाडग़ढ़। वैसे तो भारत वर्ष में भगवान शिव के कई रहस्यमयी मंदिर हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर पहाडग़ढ़ में प्राचीन भगवान शिव का मंदिर है जो ईश्वरा महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर पर आज भी अदृश्य शक्ति द्वारा पूजा अर्चना होती है। शाम के समय तक शिविलंग साफ एवं स्वच्छ रहता है। लेकिन दूसरे दिन सुबह जब मंदिर आते हैं तो ब्रह्ममुहुर्त में किसी अदृश्य शक्ति द्वारा रोली, चावल, चंदन, धूपबत्ती से लेकर 21 मुखी बिलपत्र चढ़े हुए मिलते हैं। भोले बाबा की यह पूजा कौन करता है आज तक कोई नहीं देख पाया है।  

शिवलिंग के शीर्ष पर प्राकृतिक झरना अविरल जलाभिषेक कर रहा है

पहाडगढ़़ के जंगलों में पहाड़ों के बीच ईश्वरा महादेव का सिद्ध मंदिर बना हुआ है। बारिश के मौसम में यहां प्राकृतिक छटा देखने लायक होती है। इसलिए यह धार्मिक स्थल के साथ अच्छा पिकनिक स्पॉट है। ग्रामीण बताते हैं की यहाँ सिद्ध बाबा ने इन पहाड़ों के बीच शिवलिंग स्थापित कर तपस्या की थी। तभी से शिवलिंग के शीर्ष पर प्राकृतिक झरना अविरल जलाभिषेक कर रहा है। यहां पुजारी ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोलते हैं, लेकिन तब तक कोई शिवलिंग का अभिषेक कर चुका होता है। लोगों का कहना है की इस मंदिर के गर्व गृह में रहस्यमयी पूजा को जानने के लिए किसी ने शिवलिंग के ऊपर हाथ रख लिया था लेकिन तभी अचानक तेज आंधी चली और फिर कुछ देर के लिए हाथ हटाया और अदृश्य भक्त शिव का पूजन कर गई, लेकिन जिस व्यक्ति ने शिवलिंग पर हाथ रखा था वो कोढ़ी हो गया।

शिवलिंग की स्थापना रावण के भाई विभीषण द्वारा की गई थी 

कई बार संत महात्माओं द्वारा भी इस रहस्य को जानने की कोशिश की गई लेकिन इसके बावजूद पूजा का समय होते ही साधुओं की झपकी लग गई और पलभर में कोई शक्ति ईश्वरा महोदव शिवलिंग का अभिषेक कर गई। जब संतों की आंखे खुली तब शिवलिंग की पूजा हुई नजऱ आई। लोगों का कहना है की शिवलिंग की स्थापना रावण के भाई विभीषण द्वारा की गई थी और उन्हें सप्त चिरंजीवियों में से एक माना गया है। इसलिए राजा विभीषण ही यहां पूजा करने आते हैं।

राजा ने लगाई फौज फिर भी हो गई गुप्त पूजा

ईश्वरा महादेव मंदिर पर गुप्त पूजा-अर्चना के रहस्य को जानने का प्रयास पहाडगढ़़ रियासत के राजा पंचम सिंह भी कर चुके हैं। उन्होंने रात में हो जाने वाली पूजा का रहस्य जानने के लिए अपनी सेना को मंदिर के इर्द-गिर्द लगा दिया था। चौकसी में लगी सेना सुबह चार बजे से पहले अचेतन अवस्था में चली गई। जब आंख खुली तो वहां पूजा-अर्चना हो चुकी थी। बताया जाता है की यहां ईश्वरा महादेव मंदिर के आसपास अनोखे बेलपत्र के पेड़ हैं। सामान्य तौर पर बेल की पत्तियां तीन-तीन के समूह में होती है, लेकिन यहां पांच, सात तक हैं। बताया तो यह भी जाता है कि कई बार शिवलिंग पर 21 के समूह वाली बेल पत्तियां भी देखी गई हैं। 

द्वापर में पांडवों ने आकर यहां पर अज्ञातवास किया था 

पहाडग़ढ़ के राजा साहब निहाल भैया का कहना था ईश्वरा महादेव एक अद्भुत महादेव है। उन्होंने बताया द्वापर में भगवान राम का सतलोक जाने का समय आया था उस समय रावण का भाई विभीषण ने भगवान से कहा था प्रभु मुझे भी आप अपनी शॉल लेकर चलिए तब भगवान राम ने कहा आप यही रहकर ईश्वरा महादेव की पूजा अर्चना करना। आपकी सोने की लंका समुद्र में समा गई अब आप ईश्वरा महादेव के अदृश्य शक्ति के रूप में पूजा किया करना तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र में अदृश्य शक्ति के रूप में पूजा होती रहती है। स्वर्गीय छोटेलाल भारद्वाज का कहना था कि पहाडग़ढ़ क्षेत्र एक तपो भूमि क्षेत्र है। इस क्षेत्र में महान विभूतियों ने तपस्या की है। उदाहरण के लिए द्वापर में पांडवों ने आकर यहां पर अज्ञातवास किया था जब पांडवों को 1 वर्ष का अज्ञातवास लगा हुआ था। उन्होंने इस क्षेत्र में 1 वर्ष काटे जो आज लिखी की छाछ पर अंकित है। आज भी भीम वाटिका है। श्री भारद्वाज का कहना है कि बेहरारे वाली मैया पांडवों द्वारा स्थापित है। 

चारों ओर पहाडिय़ों का क्षेत्र है, घनघोर जंगल है

पहाडग़ढ़ क्षेत्र अनन्या विभूतियां ने यहां आकर तपस्या की थी। उदाहरण के लिए श्री श्री श्याम देव महाराज जिन्होंने पहाडग़ढ़ का क्षेत्र के लिए भगवान के रूप में उन्हें पूजा जाता है। बताया जाता है कि श्याम देव बाबा की असीम कृपा होती है। यह तो उन्होंने जीवित समाधि ली है जो के दिल्ली में श्याम फकीर के नाम से आज भी विराज माने हैं। पहाडग़ढ़ श्री राम दुगोलिया द्वारा ईश्वर महादेव एवं लिखी की छाछ का सबसे पहले टेलीविजन पर 1996 देखने को मिला। उस समय से ही ईश्वर महादेव की खोज की गई जब से लेकर आज तक कहीं टेलीविजन द्वारा अपने-अपने रिपोर्ट में पेश की गई किसी ने अदृश्य शक्ति को नहीं देख पाया। पहाडग़ढ़ क्षेत्र वैसे तो तपोभूमि के रूप में माना जाता है। इसके चारों ओर पहाडिय़ों का क्षेत्र है, घनघोर जंगल है। यहां पर कई सिद्ध विभूतियों का होना एक अद्भुत बात है। जैसे ईश्वर महादेव लिखी की छाछ, निराला वाली माता, आम झिरी महादेव, बरई कोट देव, वन श्री श्याम देव महाराज की समाधि स्थल, बाजीपुरा हीरामन भूमिया, बेहरारे वाली माता, तीर्थ स्थान पहाडग़ढ़ में प्रवेश करते हुए द्वार पर श्री हनुमान जी महाराज हैं। पहाडग़ढ़ नगरी चारों तरफ से सिद्ध स्थान से गिरी हुई है पर इन स्थानों पर देखरेख कम होने के कारण यहां पर मूलभूत सुविधा से यह क्षेत्र वंचित है। 

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