हंगामे के बीच समान नागरिक संहिता विधेयक 2020 राज्यसभा में पेश

नई दिल्ली, देश में समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए पैनल गठित करने संबंधित एक निजी विधेयक शुक्रवार को हंगामे के बीच राज्यसभा में पेश किया गया। विपक्षी दलों के विरोध के बीच भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने ‘भारत में समान नागरिक संहिता विधेयक, 2020’ राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक समान नागरिक संहिता की तैयारी और पूरे भारत में लागू करने और इससे संबंधित अन्य मुद्दों के लिए राष्ट्रीय निगरानी व जांच आयोग गठित करने की बात करता है।
कई बार इस बिल को लिस्ट किया जा चुका है लेकिन पेश नहीं हो पाया
अतीत में कई बार इस बिल को लिस्ट किया जा चुका है लेकिन पेश नहीं हो पाया था। इस बार विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच शुक्रवार को ये बिल उच्च सदन में पेश हुआ। बीजेपी शासित कुछ राज्यों में इसे लागू करने की संभावना तलाशने के लिए पहले ही कमेटियां बन चुकी हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल में कहा था कि मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर गंभीर है लेकिन सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही इस पर फैसला होगा।
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बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने बिल को सदन में पेश किया
बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के प्रावधानों वाले प्राइवेट मेंबर बिल को विपक्ष के विरोध के बीच सदन में पेश किया। विपक्षी सदस्यों के विरोध पर सरकार ने मीणा का समर्थन करते हुए कहा कि बिल पेश करना उनका अधिकार है। जब विपक्ष ने बिल को वापस लेने की मांग की तो राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने उस पर वोटिंग करा दी। ध्वनिमत में बिल को पेश करने के पक्ष में 63 वोट पड़े जबकि विरोध में 23 वोट। उस समय राज्यसभा में कई सांसद अनुपस्थित थे खासकर विपक्षी कांग्रेस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी के कई सदस्य मौजूद नहीं थे। इस दौरान राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मीणा के कदम का बचाव करते हुए कहा कि इस विषय पर चर्चा तो होने दीजिए।
कई विपक्षी सदस्यों ने बिल के खिलाफ अपनी आवाज उठाई
समान नागरिक संहिता को लागू करने से जुड़ा ये बिल पहले भी पिछले सत्रों में कई बार लिस्ट हो चुका था लेकिन इससे पहले कभी पेश नहीं हो पाया। हर बार जब सभापति या आसन की तरफ से बिल पेश करने के लिए किरोड़ी लाल मीणा का नाम लिया जाता था तो वह उस वक्त सदन से नदारद होते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार तो उन्हें सरकार का भी समर्थन दिखा। सदन में जैसे ही प्रक्रिया शुरू हुई विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। उनका आरोप था कि इस बिल से देश में अमन-चैन और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंच सकता है। उपराष्ट्रपति धनकड़ ने विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों को शांत कराया और उन्हें अपनी चिंताएं रखने का मौका दिया। कई विपक्षी सदस्यों ने बिल के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि समान नागरिक संहिता संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में है। इस पर बहस करते हैं।
1970 के बाद से अबतक संसद में किसी प्राइवेट मेंबर बिल को मंजूरी नहीं मिली
प्राइवेट मेंबर बिल को अगर सदन से मंजूरी मिल भी जाती है तो वह तबतक कानून नहीं बन पाता जबतक कि सरकार उसका समर्थन न करे और उसे आधिकारिक विधेयक के तौर पर पेश न करे। खास बात ये है कि 1970 के बाद से अबतक संसद में किसी प्राइवेट मेंबर बिल को मंजूरी नहीं मिली है। संसद से अबतक सिर्फ 14 प्राइवेट मेंबर बिल को ही मंजूरी मिल पाई है जिनमें से 6 को तो अकेले 1956 में ही पास किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कॉमन सिविल कोड की बात कर चुका है
समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी नागरिकों के लिए समान कानून। भारत में क्रिमिनल लॉ तो हर धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होते हैं लेकिन विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे सिविल मामलों में ऐसा नहीं है। ऐसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होते हैं। अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। संविधान में भी सरकार की तरफ से समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास करने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कॉमन सिविल कोड की बात कर चुका है।
इससे देश और बंट जाएगा: विपक्ष
यूनिफॉर्म सिविल कोड इन इंडिया बिल, 2020 में पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी के लिए नैशनल इंस्पेक्शन ऐंड इन्वेसिगेशन कमिटी बनाने की बात कही गई है। विपक्ष का कहना है कि इससे पहले जब भी ये बिल लिस्ट होता था तो सरकार मीणा को इसे पेश नहीं करने के लिए मना लेती थी लेकिन इस बार बिल को पेश होने दिया गया। आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, 'मैं खुद ही ऐसे 6 मौकों का गवाह रहा हूं। उसके बाद क्या बदल गया है ये मुझे नहीं मालूम।' उन्होंने कहा कि इस समय शहर, गांव और परिवार बंटे हुए हैं और अगर इस तरह का बिल पेश किया गया तो देश और बंट जाएगा।
ध्रुवीकरण और बढ़ जाएगा : कांग्रेस
कांग्रेस के एल हनुमंथैया, इमरान प्रतापगढ़ी और जेबी माथेर हिशाम के साथ-साथ माकपा के ई करीम, बिकास रंजन भट्टाचार्य, वी शिवदासन, जॉन ब्रिटास और एए रहीम ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे देश में ध्रुवीकरण और बढ़ जाएगा। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि विधेयक संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है और इसके उच्च सदन में पेश करने की किसी भी हाल में अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने सभापति से आग्रह किया कि वह मीणा से यह विधेयक वापस लेने के लिए कहें।