HC के आदेश के बाद फिर लगी नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव लड़ने पर रोक
रायपुर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू के डिवीजन बेंच ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए कहा कि अज्ञानता होना कोई आधार नहीं होता. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति चुनाव में प्रत्याशी होता है और चुनाव लड़ता है उसे कानून का ज्ञान भी होता है और होना भी चाहिए. मामला बेमेतरा जिले के नगर पंचायत अध्यक्ष मारो से जुड़ा है.
दरअसल, नगर पंचायत अध्यक्ष फोहारा बाई मिरी ने साल 2015 चुनाव के समय निर्वाचन आयोग को खर्च का ब्योरा सही समय पर न देकर 1 महीने बाद दिया था. इस चलते चुनाव आयोग ने अध्यक्ष फोहारा बाई मिरी को अयोग्य करार देते हुए उसे आगामी चुनाव में 4 साल के लिए रोक भी लगा दिया था.
लिहाजा, चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ फोहारा बाई मिरी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर हाईकोर्ट जस्टिस संजय के अग्रवाल के सिंगल बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश को यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि कम पढ़ी लिखी होने के कारण अज्ञानतावश उसने ब्योरा नहीं दिया था. इस कारण उसे अयोग्य घोषित कर आगामी 4 वर्ष के लिए चुनाव में भी अयोग्य करना उचित नहीं है.
वहीं सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ राज्य निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में रिट अपील दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने बीते 23 अक्टूबर को सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी.
वहीं बीते बुधवार को मामले में फिर से सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को पलटते हुए उनके आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही कहा है कि अज्ञानता होना पर्याप्त कारण नहीं हो सकता. चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को कानून का ज्ञान होता है और होना भी चाहिए.