अब नहीं चल पाएगी स्कूलों की मनमर्जी, तय की गई खर्च करने की लिमिट

अब नहीं चल पाएगी स्कूलों की मनमर्जी, तय की गई खर्च करने की लिमिट
भोपाल। एकीकृत की गई शालाओं में अब राशि के खर्चों पर लिमिट तय कर दी गई है। स्कूल अब मनमर्जी से राशि खर्च नहीं कर सकेंगे। शाला प्रबंध समिति एवं विकास समिति के अनुमोदन लेना होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो संबंधित शाला प्रभारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। छात्रों की दर्ज संख्या के आधार पर 12500 रुपए से लेकर एक लाख या उससे अधिक की राशि वार्षिक अनुदान के रूप में दी जाएगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार इसके लिए राशि खर्च करने का प्रावधान शामिल किया है। एकीकृत शाला निधि से 10 प्रतिशत की राशि इस पर खर्च की जा सकेगी। इनके लिए मिलती है प्रयोगशाला उपकरणों का रखरखाव, मरम्मत, बदलाव, प्रयोगशाला सामग्री का क्रय, विद्युत देयक, अपरिहार्य स्थिति में पेयजल व्यवस्था, इंटरनेट सुविधा हेतु व्यय के लिए राशि दी जाती है। इसके अलावा खेलकूद सामग्री उपकरण, फर्नीचर की मरम्मत, मेप, चार्ट, स्टेशनरी, अध्यापन हेतु पूरक सामग्री के लिए भी खर्च किया जा सकता है। सहायक परियोजना समन्वयक डीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूलों में नामांकन और मैपिंग के आधार पर ही राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया है। वार्षिक अनुदान में से अब हर कार्य के लिए राशि का उपयोग करना अनिवार्य होगा। इसका सर्टिफिकेट भी स्कूलों को देना होगा। इस तरह खर्च करनी होगी राशि -30 प्रतिशत- भवन रखरखाव, प्रयोगशाला, रंगाई, पुताई, बिजली -20 प्रतिशत- रबर, चाक, बुक, कलर बॉक्स आदि -10 प्रतिशत- स्वच्छता कार्यों के लिए, कोविड-19 की रोकथाम -10 प्रतिशत- स्कूल चलें हम, मेला, चौपाल, शिक्षा सभा, डॉक्यूमेंटेशन -10 प्रतिशत- शाला प्रबंधन समिति के निर्णय पर -10 प्रतिशत- राष्ट्रीय दिवस आयोजन, प्रसाद वितरण -5 प्रतिशत- स्टेशनरी सामग्री क्रय -5 प्रतिशत- एसएमसी बैठक, सांस्कृतिक कार्यक्रम