कानून बनाना संसद का काम, एससी-एसटी ऐक्ट पर कोर्ट की गाइलाइंस जुडिशल ऐक्टिविजम: सुप्रीम कोर्ट से केंद्र
नई दिल्ली
SC-ST ऐक्ट को कथित तौर पर कमजोर बनाने वाले वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान गुरुवार को केंद्र ने कहा कि इस तरह की गाइडलाइंस जारी करना जुडिशल ऐक्टिविजम है। केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील रखते हुए अटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता, यह संसद का काम है। उन्होंने मामले को संवैधानिक बेंच में भेजने की मांग की।
केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून के गैप को भर सकता है लेकिन देशभर के लिए ऐसा गाइडलाइन नहीं जारी कर सकता जो कानून के तरह हों। एजी ने कहा कि यह जु़डिशल ऐक्टिविजम है, कानून बनाना संसद का काम है। उन्होंने मामले को संवैधानिक बेंच में भेजने की दलील दी। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पिछले फैसले पर रोक लगाने की मांग की लेकिन कोर्ट ने स्टे से इनकार किया। मामले में अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
बता दें कि सुभाष काशीनाथ महाजन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी-एसटी ऐक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत के प्रावधान को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए। यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। गैर-सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी।