कोरोना से लड़ाई में भारत विश्व सबसे आगे

कोरोना से लड़ाई में भारत विश्व सबसे आगे

नई दिल्ली
दुनियाभर में एक बार फिर कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का ग्राफ ऊपर चढ़ने लगा है. तमाम देश जहां कोविड महामारी (Covid-19 Pandemic) के बढ़ते आंकड़ों से परेशान दिखाई दे रहे हैं, तो वहीं भारत (India) ने कोरोना पर पूरी तरह से पकड़ बना रखी है. भारत में जिस तरह से कोरोना की लड़ाई लड़ी जा रही है, वह हर देश के लिए नजीर बन गया है. 130 करोड़ की जनसंख्या वाले हिंदुस्तान में कोरोना के कम होते मामलों के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की दूरदृष्टि दिखाई देती है. पीएम मोदी ने संकट के इस दौर में जिस तरह से फैसले लिए और योजनाएं तैयार की उसका नतीजा है कि अब कोरोना की लड़ाई में भारत की जीत निश्चित दिखाई दे रही है.

भारत में भले ही कोरोना के मामले 93 लाख के करीब पहुंच रहे हों, लेकिन जनसंख्या के लिहाज से अन्य देशों के साथ तुलना करने पर पता चलता है कि भारत ने कोरोना की जंग अन्य देशों से बेहतर लड़ी है. 28 नवंबर के आंकड़ों को देखें तो भारत में प्रति 10 लाख में 6,731 मामले सामने आए हैं जबकि अमेरिका में ये आंकड़ा प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 40,000 के करीब है. ब्रिटेन में हर 10 लाख लोगों पर 23,361, फ्रांस में 33,424, ब्राजील में 29,129 जबकि इटली में 25,456 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं. इस लिहाज से देखें तो भारत की तुलना में अन्य देशों में 4-5 गुना अधिक मामले सामने आ रहे हैं.

यही नहीं कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों पर भी नजर दौड़ाएं तो अन्य देशों की तुलना में भारत में मौतें कम हुई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी की शुरुआत में ही कहा था कि प्रत्येक जीवन अनमोल है और देश को कोरोना महामारी के चलते एक भी मौत स्वीकार्य नहीं है. भारत में पिछले 24 घंटे में प्रति 10 लाख की आबादी पर 98 मौतें दर्ज की गई हैं जबकि अमेरिका में हर 10 लाख की जनसंख्या पर 813, ब्राजील ने 805, फ्रांस ने 780, स्पेन ने 955, ब्रिटेन ने 846 और इटली को 888 मौतें दर्ज की गई हैं.

भारत सरकार ने दी सबसे पहले प्रतिक्रिया
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में भारत सरकार ने संस्थागत स्तर पर सबसे पहले प्रतिक्रिया दी थी. भारत सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया देते हुए. सभी जरूरी कदमों को लागू किया और हर स्तर पर सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया.

प्रधानमंत्री ने चीन की सूचना के अगले दिन ही की मिशन बैठक
चीन ने वुहान के इस जानलेवा वायरस के बारे में दुनिया को 7 जनवरी को बताया था. इसके बाद 8 जनवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मिशन मीटिंग की. इस बैठक में सभी संबंधित मंत्री और अधिकारी उपस्थित रहे. बैठक में कोरोना की चुनौती का सही आंकलन लगाने और इससे निपटने के लिए लागू किए जाने वाले उपायों को लेकर चर्चा की गई.

भारत ने 17 जनवरी को ही शुरू की स्क्रीनिंग
भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था, जिसने 17 जनवरी से ही दूसरे देश से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी. भारत सरकार के आदेश के मुताबिक अन्य देशों से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग की जाने लगी. इसका परिणाम यह हुआ कि भारत में आए कोरोना वायरस के सबसे पहले मामले की पहचान करने और संक्रमित को आईसोलेट किए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई.

पहले मरीज मिलने के बाद से ही शुरू हुए जरूरी कदम
सभी देशों की स्कीनिंग शुरू करने का परिणाम यह हुआ कि पहले मरीज के आने के बाद से रोकथाम के कदम उठाए जाने लगे. भारत में 30 जनवरी को कोरोना के पहले मरीज की जानकारी मिली थी, जिसके बाद से ही भारत सरकार ने पूरे देश में जोरों पर कोरोना संबंधी स्क्रीनिंग और इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए थे.

भारत ने शुरू किया RT-PCR के साथ एंटीजन टेस्ट
भारत दुनिया का पहला ऐसा देश था जिसने आरटी-पीसीआर परीक्षणों के साथ रैपिड एंटीजन शुरू किया था, जिसकी दुनियाभर ने पहले आलोचना हुई लेकिन बाद में डब्ल्यूएचओ को भी ये मानना पड़ा कि भारत ने सबसे पहले और सही कदम उठाया. इसके बाद दुनियाभर में इसे अपनाया गया.

होली के त्योहार के दौरान PM मोदी ने पेश किया दुनिया के सामने उदाहरण
प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च के पहले सप्ताह में ही घोषणा कर दी थी कि वो खुद किसी भी होली मिलन समारोह या कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. इस तरह से वह दुनिया के पहले नेता बने जिन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर दुनिया के सामने दुनिया के सामने उदाहरण पेश किया.

कम मामले होने पर भी उठाए गए कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाखों देशवासियों को सामूहिक सभाओं से दूर रहने का संदेश दिया तब भारत में कोरोना के 50 मामले भी नहीं थे. पीएम मोदी की इस अपील का असर ये हुआ कि लोगों ने होली के त्योहार पर सामाजिक दूरी का पालन किया और संक्रमण की चेन को बनने नहीं दिया.

मास्क किए गए अनिवार्य
भारत के कई राज्यों में अप्रैल में ही मास्क को अनिवार्य कर दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी जब कभी भी सार्वजनिक रूप से देखे जाते थे तो वह खुद मास्क पहने होते थे जबकि डब्ल्यूएचओ ने जून में दुनियाभर को कोरोना से बचने के लिए मास्क को जरूरी बताया.