नदी में बहता मिला था इस मंदिर का शिवलिंग

रायपुर
हटकेश्वरनाथ महादेव घाट रायपुर राजधानी के हृदयस्थल जयस्तंभ चौक से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर खारुन नदी के किनारे महादेवघाट पर स्थित है। स्वयंभू पत्थर से निर्मित हटकेश्वरनाथ महादेव शिवलिंग। यह सैकड़ों साल से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। सावन के महीने में जलाभिषेक करने राजधानी समेत आसपास के गांवों से हजारों कांवरियों का हुजूम उमड़ता है। ग्रामीण इलाकों में इसे मिनी काशी के रूप में भी जाना जाता है।

पुजारी पं.सुरेश गिरी गोस्वामी के अनुसार मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। श्रीमद्भागवत गीता के पांचवें स्कंध के 16 वें और 17वें श्लोक में हटकेश्वरनाथ का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि हटकेश्वरनाथ अतल लोक में अपने पार्षदों के साथ निवास करते हैं और जहां स्वर्ण की खान पाई जाती है।

मान्यता है कि हजारों साल पहले मंदिर के किनारे सोने की बहुतायत थी, जो समय के साथ लुप्त हो चुकी है। वर्तमान में बहने वाली खारुन नदी को द्वापर युग में द्वारकी नदी के नाम से जाना जाता था।

कालांतर में महाकौशल प्रदेश के हैहयवंशी राजा ब्रह्मदेव जब नदी किनारे स्थित घनघोर जंगल में शिकार करने आए थे, तब नदी में बहता पत्थर का शिवलिंग नजर आया और उन्होंने इसे स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवाया। इन मान्यताओं से विपरीत शासन के अनुसार 1402 में कल्चुरि शासक भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ने इसका निर्माण करवाया है।

वर्तमान में खारुन नदी पर हरिद्वार की तर्ज पर लक्ष्मण झूला का निर्माण किया गया है। इसकी सुंदरता निहारने प्रतिदिन सैलानियों का हुजूम उमड़ रहा है। साथ ही नदी में नौकायन की विशेष व्यवस्था की गई है। नदी के किनारे मेला भी लगाया गया है।

बच्चों के लिए गोल और युवाओं के लिए हवाई झूले लगे हैं। नदी किनारे छोटे-बड़े करीब 20 मंदिर है, इनमें काली मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, सांईं मंदिर, हनुमान मंदिर, सतनाम धर्म का जैतखाम, कबीरपंथियों का मंदिर समेत अनेक मंदिरों में आकर्षक विद्युत साजसज्जा की गई है। कांवरियों के विश्राम के लिए आश्रम, बरामदा में व्यवस्था की जा रही है।