महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का कारण बने 2014 के ये सबक!

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का कारण बने 2014 के ये सबक!

 
नई दिल्ली 

महाराष्ट्र में ना-ना करते फिर एक बार भाजपा और शिवसेना गठबंधन कर बैठे हैं. 18 फरवरी की दोनों पार्टियों की घोषणा सिर्फ लोकसभा चुनाव 2019 तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये गठबंधन इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भी रहेगा. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का गठबंधन 1989 के लोकसभा चुनाव से ही है और तब से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक दोनों पार्टियां राज्य में हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ लड़ीं लेकिन 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े थे.

आखिर ऐसी क्या वजह थी कि दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े विधानसभा में और अब एक बार फिर से 2019 के चुनाव में गठबंधन में लड़ेंगे? एक और बड़ा सवाल यह भी है कि हाल के दिनों में जैसी तल्खी शिवसेना की तरफ से दिखाई जा रही थी अचानक वही शिवसेना, भाजपा के साथ गठबंधन के लिए राजी कैसे हो गयी? क्या भाजपा और शिवसेना का गठबंधन दोनों की मजबूरी थी? इन सवालों का जवाब उनके पुराने गठबंधन के गणित में छिपा है.

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 25 पर भाजपा और बाकी 23 पर शिवसेना चुनाव लड़ेगी. 2014 में जहां रामदास आठवले की RPI(A) को भी एक सीट दी गई थी, उन्हें इस बार NDA गठबंधन में कोई सीट नहीं मिली है. बड़ी बात ये है कि शिवसेना को मिली 23 सीटें उसको अब तक मिली सीटों के हिसाब से सबसे अधिक हैं. पिछले लोकसभा चुनाव से भी तीन सीट अधिक और किसी भी लोकसभा चुनाव से एक सीट अधिक.