CM कमलनाथ का तोहफा : MP के पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश
भोपाल।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ ग्रहण के तीसरे दिन पुलिस मुख्यालय पहुंचकर जुआ-सट्टा और महिला सुरक्षा पर जीरो टॉलरेंस का संदेश देकर अपनी प्राथमिकता बता दी है। साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव के कांग्रेस के वचन पत्र की एक और घोषणा पूरी कर दी। इसके तहत पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक अवकाश के वचन को पूरा करते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नियम बनाने के आदेश दिए।
वहीं, नशे के कारोबार पर नियंत्रण करने के लिए सख्ती बरतने को कहा है, जिससे युवा पीढ़ी को बर्बाद होने से बचाया जा सके। मुख्यमंत्री नाथ बुधवार को दोपहर पौने दो बजे पुलिस मुख्यालय पहुंचे और कॉन्फ्रेंस हॉल में डीजी से लेकर आईजी स्तर तक के अधिकारियों से रूबरू हुए।
उन्होंने पहले अधिकारियों का परिचय लिया और फिर डीजीपी आरके शुक्ला ने पुलिस की उपलब्धियों, आपराधिक स्थिति और आवश्यकताओं के बारे में प्रजेंटेशन दिया। हालांकि प्रजेंटेशन लंबा होने पर मुख्यमंत्री ने उसे संक्षिप्त कराया और अपनी प्राथमिकताएं अधिकारियों को बताईं।
मुख्यमंत्री ने सट्टा-जुआ और महिला सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात कही। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने कहा कि आज गूगल पर रेप सर्च करो तो मध्य प्रदेश का नाम पहले नंबर पर आता है। रेप कैपिटल जैसी पहचान बन गई है। इसे बदलने के लिए महिला सुरक्षा को लेकर माहौल बनाना होगा। सट्टा-जुआ, शराब और नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
उन्होंने कहा कि पंजाब में जिस तरह सरकार और पुलिस के गठजोड़ ने मिलकर एक पीढ़ी को बर्बाद कर दिया, मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हो, इसके लिए काम करना चाहिए। डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन के बिना मेडिकल स्टोर से कोई दवा नहीं दी जाना चाहिए, क्योंकि कुछ दवाओं का उपयोग नशे के लिए भी किया जाता है। वे बोले कि हालांकि पुलिस को इसमें अधिकार नहीं है लेकिन वे उसे इस तरह के अधिकार देने का प्रयास करेंगे।
अवकाश नहीं ले पाएं तो इन्सेंटिव दिया जाए
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक अवकाश के वचन को बैठक में पूरा किया। इसके लिए नियम बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई पुलिसकर्मी साप्ताहिक अवकाश नहीं ले पाता तो उसे या तो जरूरत पड़ने पर अवकाश दिया जाए या फिर उसके बदले कोई इन्सेंटिव देने का नियम बनाया जाए।
गौरतलब है कि पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश का सबसे पहले एलान तत्कालीन गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने किया था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसकी घोषणा कर चुके थे। कुछ जिलों में इसकी शुरुआत भी हुई मगर समग्र रूप से व्यवस्था लागू नहीं हो पाई।