जैसलमेर में वैज्ञानिकों ने लगभग 4.7 करोड़ वर्ष पुराने दुर्लभ समुद्री जीवाश्मों की खोज की

राजस्थान के जैसलमेर जिले में जीवाश्म शास्त्रियों ने लगभग 4.7 करोड़ वर्ष पुराना आदिकालीन व्हेल, शार्क दांत, मगरमच्छ के दांत और कछुए की हड्डियों जैसे दुर्लभ जीवाश्मों की खोज की है। इससे वर्तमान रेगिस्तान क्षेत्र में समुद्री जीवन और समुद्र की उपस्थिति का पता चलता है। प्राचीन जीवाश्मों की खोज उस युग के पर्यावरणिक माहौल को जानने में सहायक भी है।

भारत के भूगर्भीय सर्वेक्षण (जीएसआई) का पश्चिमी क्षेत्र गुजरात और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक साल से जीवाश्मों पर शोध कर रहा है। जैसलमेर में बांदा गांव में आदिकालीन व्हेल के जीवाश्म, शार्क दांत, मगरमच्छ के दांत और मध्य आदिकाल के कछुए की हड्डियों जैसे कई जीवाश्म पाए गए हैं।

पुरातत्व विभाग के निदेशक देबाशीष भट्टाचार्य की निगरानी में वरिष्ठ भूगर्भीय वैज्ञानिक कृष्ण कुमार, प्रज्ञा पांडे ने जीवाश्म की खोज की है। भूगर्भीय वैज्ञानिक कृष्ण कुमार ने बताया कि इस खोज में सबसे महत्वपूर्ण पहलू एक खंडित जबड़ा और मेरूदंड है , जिसकी पहचान प्राचीन व्हेल की हड्डी के रूप में हुई है।
 
मध्य आदिकाल के समुद्री जीवाश्मों की उपस्थिति से संकेत मिलता है कि लगभग 4.7 करोड़ वर्ष पहले , जैसलमेर क्षेत्र में एक समुद्री उपस्थिति थी। उन्होंने बताया कि मध्य आदिकाल के दौरान कच्छ बेसिन और गुजरात में पहले दी गई रिर्पोट में जीवों के साथ समानता मिलती है , इस प्रकार उष्णकटिबंधीय समशीतोष्ण स्थितियों के तहत इसी तरह के उथले समुद्री प्रतिनिधित्व को दर्शाता है।