एग्जिट पोल से अतिउत्साह में RJD, थोड़ा धैर्य रखिए तेजस्वी जी!

एग्जिट पोल से अतिउत्साह में RJD, थोड़ा धैर्य रखिए तेजस्वी जी!

 पटना:
अतिउत्साह से कितनी भद पिट सकती है, ये बीजेपी के विधानपार्षद संजय मयूख से ज्यादा और कौन समझ सकता है। 2015 के चुनाव को याद कीजिए, मुझे खुद भी याद है। मैं पटना बीजेपी ऑफिस में था। पोस्टल बैलेट की गिनती जारी थी, मेरे तत्कालीन संपादक पटना से हजार किलोमीटर दूर हैदराबाद स्टूडियो में बैठे फोन पर मुझसे पूछ रहे थे कि क्या ये रुझान EVM के हैं। मेरा जवाब था कि अभी धैर्य रखना होगा, क्योंकि पोस्टल बैलेट की गिनती चल रही है। पोस्टल बैलेट के रुझानों में NDA की सरकार बनती दिखने लगी थी, संपादक जी को आखिर में मैंने कह दिया कि ये रुझान सरकार बनाने वाले रुझान नहीं है... थोड़ी देर यानि सुबह 9 से साढ़े 9 बजे तक रुकिए, वास्तविक स्थिति शीशे की तरह साफ दिखने लगेगी। इसी दौरान संजय मयूख पार्टी ऑफिस के बाहर आए और समर्थकों के साथ पटाखे फोड़ने लगे। इस अतिउत्साह के बाद जो हुआ उससे पूरा देश वाकिफ है। महागठबंधन के नतीजों के आगे बीजेपी हांफ गई थी। सवाल ये कि क्या तेजस्वी की पार्टी और समर्थक भी अतिउत्साह में हैं।

तेजस्वी को जन्मदिन पर बता दिया भावी सीएम
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे तो कल आने वाले हैं लेकिन महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव आज से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं और वह आज से ही ' CM ऑफ बिहार' बन गए हैं। दरअसल, तेजस्वी यादव का आज 31वां जन्मदिन भी है और कल बिहार चुनाव की काउंटिंग है। ऐसे में तेजस्वी समर्थक आज से ही उन्हें राज्य का सीएम बता रहे हैं। बता दें कि बिहार चुनाव के बाद हुए एग्जिट पोल्स में ज्यादातर में महागठबंधन की सरकार की भविष्यवाणी की गई है।

बिहार की राजधानी पटना की सड़कों पर तेजस्वी यादव के भावी सीएम वाले पोस्टर भी लग गए हैं। पटना की सड़कों पर तेजस्वी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए पोस्टर लगे हुए हैं। कई पोस्टर में उन्हें बिहार का भावी सीएम बताया गया है। सोशल मीडिया पर 'CM ऑफ बिहार' ट्रेंड कर रहा है। बता दें कि तेजस्वी महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार भी हैं और अगर महागठबंधन बिहार चुनाव में जीतती है तो उनका सीएम बनना तय है। तेजस्वी ने पूरे प्रचार के दौरान रोजगार और बदलाव का मुद्दा उठाया था और उनके कोर वोटर के साथ-साथ युवा वोटरों का भी समर्थन उन्हें मिलता दिख रहा था।


इस अतिउत्साह से फायदा या नुकसान
अब सवाल ये है कि RJD में इस अतिउत्साह से फायदा है या नुकसान। जवाब बिल्कुल सीधा है, यकीन न हो तो एक बार संजय मयूख का उदाहरण याद किया जा सकता है। साथ ही 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम को भी रीकॉल यानि उसकी याद ताजा कर सकते हैं। एग्जिट पोल कभी भी एग्जेक्ट पोल नहीं हो सकता, इसका उदाहरण 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान साफ दिख गया था।

कुछ एग्जिट पोल ने तो नीतीश माइनस NDA को इतने बहुमत से जीता दिया था जिसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी। लेकिन जब नतीजे आए तो एग्जिट पोल औंधे मुंह धड़ाम होने के साथ उलट भी गए। जितनी सीटें NDA को दी जा रही थीं उतनी नीतीश की अगुवाई वाला महागठबंधन बटोर ले गया था। ऐसे में कहना सिर्फ इतना है कि अभी थोड़ा धैर्य रखिए तेजस्वी जी, 2015 में संजय मयूख भी इसी तरह से पटाखे फोड़ने लगे थे।