कन्हैया कुमार को यहां से चुनाव में उतार सकती है भाकपा, शेहला को भी मिल सकता है मौका!
नई दिल्ली
आगामी लोकसभा चुनाव में वामपंथी दलों का फोकस दूसरी पंक्ति का नेतृत्व उभारने पर भी होगा। वामदलों में बुजुर्ग नेताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और उस हिसाब से युवा नेतृत्व नहीं उभर पा रहा है। इसलिए दलों की रणनीति यह है कि इस चुनाव में नौजवानों को आगे टिकट देकर चुनाव लड़ाया जाए।
माकपा और भाकपा में ज्यादातर नेता ऐसे हैं जो 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं, या इसके करीब पहुंच रहे हैं। जबकि 35-55 साल की उम्र वर्ग के उभरते नेताओं की भारी कमी है। हाल यह है कि 17 सदस्यीय माकपा पोलित ब्यूरो में सबसे कम उम्र के नेता मोहम्मद सलीम हैं, जिनकी उम्र 61 साल है। जबकि सबसे ज्यादा उम्र के रामचंद्र पिल्लई हैं, जो 80 साल के हैं। वैसे, वाम राजनीति में सबसे वयोवृद्ध नेता वी.एस. अच्युतानंदन हैं जो अभी भी पार्टी में सक्रिय हैं। वामदलों को अब महसूस हो रहा है कि युवा नेताओं को आगे बढ़ाए जाने की जरूरत है अन्यथा आगे यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।
माकपा के महासचिव और वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ( कहते हैं, 'युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि दूसरी पंक्ति का मजूबत नेतृत्व खड़ा हो सके। आगामी लोकसभा चुनाव में हम ऐसे नेताओं को आगे करेंगे, ताकि भविष्य के लिए नया नेतृत्व तैयार हो सके।' संभावना है कि इसमें कन्हैया कुमार और शेहला रशीद जैसे नौजवानों को मौका मिल सकता है। चर्चा है कि भाकपा कन्हैया कुमार को बिहार के बेगुसराय से चुनाव में उतार सकती है।
बंगाल से माकपा सांसद मोहम्मद सलीम का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास युवा नेताओं की कमी है। पार्टी में काफी युवा हैं, लेकिन इसे हमेशा चुनाव लड़ने से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए यह खालीपन नजर आता है। हालांकि वे कहते हैं कि इस बार हम युवाओं को बड़े पैमाने पर चुनाव में आगे करने पर विचार कर रहे हैं।