नाथ संप्रदाय ने दुनिया को योग का वास्तविक अर्थ समझाया : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
स्वयं को जानने की कला गुरु गोरखनाथ ने दुनिया को सिखाई
ग्राम जर्रापुर में नर्मदा तट पर घाट बनाने की घोषणा की
मुख्यमंत्री ग्राम जर्रापुर में संत समागम समारोह में हुए शामिल
भोपाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि दुनिया के सभी देश, भारत की सनातन संस्कृति को समझने की जिज्ञासा रखते हैं। भारत को जानने के लिए भारत में प्राचीनकाल से चली आ रही सनातन संस्कृति को जानना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राचीनकाल से चली आ रही भारत की योग परंपरा को संयुक्त राष्ट्र संघ से पूरे विश्व में मान्यता दिलाई स्थापित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नाथ संप्रदाय ने दुनिया को योग का वास्तविक अर्थ समझाया है। आदि गुरु गोरखनाथ के मार्गदर्शन में योग के विश्व के सर्वाधिक प्रसार में नाथ संप्रदाय का प्रमुख योगदान रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को बुधनी तहसील के ग्राम जर्रापुर में आयोजित नाथ संप्रदाय के संत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य की आत्मा में परमात्मा विराजमान हैं। उन परमात्मा को जानने का सबसे सुगम माध्यम योग है। गुरू गोरखनाथ अपनी योग्यता एवं कुशलता से अपने जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों एवं विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना लेते थे। यह सत्य है कि जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। मृत्यु से पहले अपने आप को जानने की कला गुरू गोरखनाथ ने दुनिया को सिखाई है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि भारत की भूमि पर ऐसे संत हुए है, जिन्होंने इस भूमि को अपनी जन-कल्याण की भावना से पावन किया है। गंगा अपना अमृत समान जिस प्रकार जल सभी प्राणियों को निस्वार्थ भाव से उनके कल्याण के लिए प्रदान करती है, उसी प्रकार संत अपने जीवन के सभी सुखों को त्याग कर सभी प्राणियों एवं समाज के कल्याण के लिए कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरू गोरखनाथ ने संत भृतहरी के जीवन में आत्म चेतना को जगा कर उनका जीवन बदल दिया था।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्राचीनकाल से ही विश्व में अनेक संस्कृतियां रही हैं, पर समय के साथ अनेक संस्कृतियां विलुप्त हो गई पर भारत की सनातन संस्कृति अपनी मानव कल्याण की भावना के साथ सदैव अक्षुण बनी रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का वर्चस्व पूरी दुनिया में बढ़ रहा है। आज जब हमारे देश में विदेश से अतिथि आते है तो वे भारत की संस्कृति से बहुत प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि रामायण, महाभारत, श्रीमदभगवत गीता हमारे भारत की सनातन संस्कृति के पवित्र ग्रंथ है। हमें इनका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करना चाहिए। ये ग्रंथ हमारे भारत में प्राचीनकाल से प्रचलित सनातन संस्कृति की पहचान भी है। उन्होंने संतों की मांग पर बुधनी में नर्मदा के किनारे घाट निर्माण कराने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार साधु संतों की सेवा के निरंतर तत्पर है और उनकी आवश्यकतानुसार उज्जैन में भी आश्रम के लिये वैधानिक तौर पर भूमि उपलब्ध कराई जायेगी।
गुरू पार्श्वनाथ जी, योगी बालकनाथ जी एवं राज्यसभा सदस्य बाल योगी उमेशनाथ ने भी संबोधित किया। महंत नरहरि नाथ जी, योगी कृष्ण नाथ जी महाराज, महंत पंचम नाथ जी, महंत रूपनाथ जी, महंत सूरज नाथ जी सहित देश भर से आए नाथ संप्रदाय के साधु संत शामिल हुए। संत समारोह में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, नर्मदापुरम सांसद दर्शन सिंह चौधरी, सांसद श्रीमती माया नारोलिया, बुधनी विधायक रमाकांत भार्गव, सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह, आष्टा विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर सहित जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी मौजूद रहे।