पर्यटन, स्वांलबी ग्रामीण और किसानो को लेकर सोनखार में कार्यक्रम में संपन्न
rafi ahmad ansariबालाघाट। जिले की अंतिम सीमा से लगे प्राकृतिक वातावरण और ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए देवडोंगरी पहाडी से लगे ग्राम पंचायत सोनखार में कमल पटेल के बाडे में यहां ग्रामीणो के स्वालंबन, पर्यटन की संभावना और किसानो के मुद्दो पर आवश्यक कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष कश्मिरी लाल, म.प्र- छ.ग के प्रभारी जी चंदेल, जिला उद्योग कार्यालय के महाप्रबंधक अखिल चौरसिया, अन्नदाता किसान संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष सारसवत डा. एन.एम. श्रीवास्तव प्रमुख रूप से उपस्थित रहें।
अन्नदाता किसान संगठन के द्वारा किसानो के गंभीर विषयों पर कार्य करने के साथ साथ पर्यटन और दार्शनिक स्थलो के विकास की संभावनाओं को लेकर और ग्रामीणो को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। जिसके तहत ग्राम पंचायत सोनखार में पर्यटन की संभावनाओं को भांपते हुए अन्नदाता किसान संगठन के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कश्मिरी लाल ने ग्रामीणो को संबोधित करते हुए कहा कि जितना देश दुनिया हाईटेक और आधुनिक होते जा रहा है उसमें दिखावे के तौर पर व्यापार करने के लिये और जनता को लूटने के लिये सारे हथकंडे अपनायें जा रहे है और हमारी भावी पीढी दिखावे को स्वीकार करके अपने मूल जीवन के सिंद्धात को भूलते जा रहे है। जिसका दुष्परिणाम है कि वर्तमान में रासायनिक खानपान और जहरीली आबो हवा से कई प्रकार के रोग आज आम बात हो गई है।
यही कारण है कि स्वदेशी मंच के द्वारा वैदिक और जैविक पद्धति से कृषि को बढाकर कैसे प्राचीन युग की तरह सेहतमंद खानपान लाया जाये ताकि समाज के आचार विचार में भी बदलाव लाया जा सकें। कश्मिरी लाल ने कहा कि गांव ही भारत का प्रमुख अंग है और किसान ही देशी की जीडीपी और वजूद को बनाये हुए है। किसानो और ग्रामीणो का नजर अंदाज करना वाकई में बडी भूल होगी। यहां स्वदेशी जागरण मंच के छ.ग, म.प्र प्रभारी जी चंदेल ने कहा कि ग्रामीण परिवेश और गांव अपने आप में एक वो संस्था थी जहां खान पान और उत्पादन से लेकर सभी कार्य व्यवस्थीत होते थे। यही नही न्याय की व्यवस्था भी बेहतर होती थी लेकिन बदलते दौर और दिखावे के इस युग में स्वार्थमय होकर विवाद की स्थिति काफी बढ गई है। यही कारण है कि स्वदेशी जागरण मंच महानगरो से लेकर ग्रामीण अंचल के छोर तक जाकर कार्य कर रहे है।
इस दौरान जिला उद्योग कार्यालय के महाप्रबंधक अखिल चौरसिया ने भी गांव से लेकर छोटे शहरो तक कैसे छोटे बडे रोजगार स्थापित कर लोगो को आत्मनिर्भर बनाया जाये। इसं सबंध में बडी ही महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम के अध्यक्ष अन्नदाता संगठन से मुरलीमनोहर श्रीवास्तव ने कहा कि विशेषकर किसानो के ज्वलंत मुद्दे को रखते हुए दिल्ली से स्वदेशी जागरण मंच के पदाधिकारियों से आग्रह किये कि किसानो की हालत सुधारने के लिये संयुक्त प्रयास करने की आवश्यक्ता है। दुनिया भले ही कितनी ही तरक्की कर ले या आधुनिक युग ला ले, लेकिन बगैर अनाज के कुछ भी संभव नही है। सही मायने में किसान ही हम सब का वजूद है। इनकी खाद्यान को उर्जा का दर्जा दिया जाये और उनके उत्पादन का उचित मूल्य देकर शासन को कई नीतियों में बदलाव करने की आवश्यक्ता बताई। कार्यक्रम में अमृत गौशाला के संचालक भुवन उर्फ बाबा उपवंशी ने अतिथियों को जैविक खेती के मायने और आवश्यक्ता के साथ साथ गाय और गौशाला से ना सिर्फ आत्मनिर्भर बनने की बात रखी,बल्कि आयुर्वेदिक खेती से स्वदेशी अभियान में किस तरह देश दुनिया को स्वास्थ और विचारो के लिहाज से विचार रखा। यंहा नैनपुर के वरिष्ठ पत्रकार व मंच संचालक भास्कर रमण ने बताया कि सोनखार से लगे देवडोंगरी पहाडी पर ऐतिहासिक धरोहर आज भी मनमोहने वाली बताई जा रही है। यहां ना सिर्फ 13 वी शताब्दी की काफी आकर्षक पत्थर की प्रतिमायें है बल्कि घने जंगलो से घिरी पहाडी और यंहा बाघ व अन्य वन्यप्राणियों का बसेरा इस क्षेत्र को पर्यटन के लिये संभावित करती है। इस कार्यक्रम में मोहनलाल गौतम, डोमनबाई बिसेन, लक्ष्मीबाई टेंभरे, कपिल देशमुख, भुवन उपवंशी, नागेश कालबेले, संदिप बिसेन, गोंविद रांहगडाले, सुरजलाल बिसेन, नंदलाल टेंभरे, नैनपुर से सुंरेद्र प्रसाद दुबे, गयाप्रसाद मिश्रा, केशव डुबोरिया, चंदमोहन साहू, रामकुमार भलावी, शिवसंजय सोनवाने, जगदीश राहंगडाले व अन्य गा्रमीण मौजूद थे।