भारत और अमेरिका की तीनों सेनाओं के बीच युद्धाभ्यास इस साल के अंत तक संभव

भारत और अमेरिका के बीच तीनो सेनाओं की सैन्य युद्धाभ्यास इस साल के अंत तक हो सकती है. रक्षा मंत्रालय अमेरिकी अधिकारियों के साथ इसका प्रारूप तैयार करने मे लगा है. इससे पहले भारतीय सेना के तीनों अंग अमेरिका की सेना के साथ अलग-अलग युद्ध अभ्यास करते रहे हैं. लेकिन ये पहली बार होगा जब दोनो देशों की थल सेना, वायु सेना और नौसेना एक साथ युद्ध अभ्यास करेगी. इस मुद्दे पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिकी  विदेश मंत्री माइक पोंपियो व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के बीच सितंबर मे होने वाली टू प्लस टू बैठक मे चर्चा संभव है. इससे पहले इस मामले में अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस की पिछले वर्ष हुई भारत यात्रा के दौरान निर्मला सीतारमण के साथ विस्तार से चर्चा हुई थी.

आपको बता दें कि पिछले साल तीनो भारतीय सेनाओं ने रूस मे इंद्र-2017 द्विपक्षीय युद्धाभ्यास के तहत रूसी सेनाओं के साथ सम्मिलित रूप से हिस्सा लिया था. जिसमें भारतीय सेना के 350 जवान, वायुसेना के 80 जवानों और आईएल 76 एयक्राफ्ट व भारतीय नौसेना की एक फ्रिगेट शामिल हुए थे. लेकिन यह अमेरिका के साथ इस तरह का पहला युद्धाभ्यास होगा जिसमे तीनों सेनाएं सम्मिलित रूप से शामिल होंगी. वहीं पिछले साल ही भारतीय सेना व अमेरिकी सेना के बीच युद्धाभ्यास-2017, वाशिंग्टन के संयुक्त बेस लुईस-मैककॉर्ड मे आयोजित किया गया था. जिसमे गोरखा रायफल्स के 200 जवान शामिल हुए थे.  जबकि भारतीय नौसेना व अमेरिकी नौसेना ने जापान की नौसेना के साथ हाल ही मे मालाबार-2018  के तहत त्रीपक्षीय युद्घाभ्यास किया था. इस सालाना अभ्यास में तीनों देशों के बड़ी संख्या में विमान, नौसेना की परमाणु पनडुब्बियां और जंगी जहाजों ने हिस्सा लिया था.

गौरतलब है कि 6 जुलाई को भारत और अमेरिकी विदेश व रक्षा मंत्रियों के बीच होने वाली टू प्लस टू बैठक अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के उत्तर कोरिया दौरे की वजह से टाल दी गई थी. भारत और अमेरिका के बीच होने वाले इस युद्धाभ्यास को पड़ोसी देशों व हिंद व प्रशांत महासागर क्षेत्र मे चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के लिहाज से सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है. जबकि भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते सैन्य संबंधों को चीन अपने खिलाफ सैनिक लामबंदी के तैर पर लेता रहा है.