कांग्रेस सरकार बनते ही मीसा बंदियों के पेंशन पर मंडराया खतरा

कांग्रेस सरकार बनते ही मीसा बंदियों के पेंशन पर मंडराया खतरा

बिलासपुर
प्रदेश में सरकार बदलते ही मीसा बंदियों को मिलने वाली पेंशन पर खतरा मंडराने लगा है। भाजपा सरकार बीते 10 वर्षों से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल की सलाखों के पीछे रहने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी व स्वयंसेवकों को उपकृत करने के लिए हर महीने पेंशन का प्रावधान किया था। अब जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार काबिज हो गई है। ऐसी स्थिति में मीसा बंदियों के पेंशन बंद होने की चर्चा जोर पकड़ लिया है।

कांग्रेस ने 15 साल बाद राज्य की सत्ता पर प्रभावशाली तरीके से वापसी की है। सरकार बदलते ही भाजपा की कई योजनाओं और कार्यों पर मौजूदा कांगे्रसी सरकार की कैंची भी चलेगी । छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकार द्वारा भी पेंशन का प्रावधान किया गया था। अब जबकि तीनों प्रमुख राज्यों में भाजपा की सरकार सत्ता से दूर हो गई है यहां चल रही योजनाओं में भी जल्द कैंच चलाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
चर्चा तो इस बात की भी है कि सबसे पहले मीसाबंदियों को मिलने वाले पेंशन के प्रावधान को खत्म किया जाएगा । जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 से मीसाबंदियों को सरकार द्वारा पेंशन दिया जा रहा है। बिलासपुर जिले में 77 मीसाबंदियों की सूची है जिनको प्रति महीने पेंशन दिया जा रहा है। इनके बैंक अकाउंट में राशि हर महीने जमा करा दी जाती है।

मुंगेली जिले में इनकी संख्या 18 है जिनको पेंशन दिया जा रहा है। पेंशन के लिए राज्य शासन ने तीन तरह की श्रेणी बनाई थी। इसमें आपातकाल के दौरान छह महीने से अधिक ,छह महीने से कम और एक महीने तक जेल में रहने वालों को पेंशन की सुविधा दी जा रही है।

ऐसे मिलता है मीसाबंदियों को पेंशन

- छह महीने या अधिक समय तक जेल में बंद रहने वाले- जीवित मीसाबंदियों को प्रति महीने 25 हजार रुपये,मृत्यु होने पर पत्नी को हर महीने 12 हजार 500 रुपये ।

- छह महीने से कम जेल में बंद रहने वाले- जीवित मीसाबंदियों को 15 हजार रुपये । मृत्यु होने पर पत्नी को 10 हजार रुपये ।

- एक महीने तक जेल में बंद रहने वाले- जीवित मीसाबंदियों को साढ़े पांच हजार रुपये ।

शुरुआत में छह व तीन हजार रुपये मिलता था

वर्ष 2008 में जब पेंशन की शुरुआत हुई तब मीसाबंदियों को दो तरह का पेंशन देने का प्रावधान रखा गया था। छह महीने या अधिक जेल में बंद रहने वालों को छह हजार व छह महीने से कम जेल में रहने वालों को तीन हजार रुपये प्रति महीने पेंशन दिया जाता था ।

मृत्यु के बाद पेंशन बंद

पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पेंशन का नियम तय किया गया है। पत्नी की मृत्यु के बाद पेंशन को पूरी तरह बंद करने का नियम राज्य सरकार ने बनाया था ।

सरकार बनती तो कुछ इस तरह होता संशोधन

इस बार भाजपा की सरकार बनती तो पेंशन नियम में जरूरी संशोधन का खाका तैयार किया गया था। इसके लिए राज्य शासन ने लोकतंत्र प्रहरी संगठन को खड़ा किया था। इसके जरिए मसौदा तैयार किया जा रहा था। पति व पत्नी की मृत्यु के बाद पेंशन के प्रावधान को आगे बढ़ने के लिए आश्रितों को देने की योजना बनाई गई थी। सरकार के जाते ही योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई ।