कृषि वैज्ञानिक जैविक खेती को प्रभावशाली बनाने के लिए अधिक से अधिक अनुसंधान करें: यूडीएच मंत्री

कृषि वैज्ञानिक जैविक खेती को प्रभावशाली बनाने के लिए अधिक से अधिक अनुसंधान करें: यूडीएच मंत्री

जयपुर। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि  कृषि विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों को खेती को किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद बनाने एवं कम लागत में अधिक उत्पादन करने के संबंध में अधिक से अधिक अनुसंधान करने चाहिए। यूडीएच मंत्री खर्रा बुधवार को जिले के फतेहपुर में कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के संगठक कृषि महाविद्यालय के प्रशासनिक एवं अकादमिक भवनों का फीता काटकर उद्घाटन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

इस अवसर पर झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि कीटनाशकों एवं रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग से भूमि की उर्वरक शक्ति कम हुई है, इसलिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के संबंध में और अधिक काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से शुरू में उत्पादन भले ही कम हो लेकिन लंबे समय तक हम अधिक उत्पादन ले सकते हैं।

यूडीएच मंत्री ने कहा कि किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक देश खुशहाल नहीं होगा, इसलिए खेती को फायदे का सौदा बनाकर ही 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना पूर्ण किया जा सकता है।

कार्यक्रम में कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रोफेसर डॉ.बलराज सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय की 2013 में स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा में आज 60 प्रतिशत छात्राएं  शिक्षा प्राप्त कर रही है तथा निधि विश्नोई ने कृषि शिक्षा में भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

महाविद्यालय के उद्घाटन के पश्चात् लांयस क्लब की तरफ से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन भी किया गया जिसमें महाविद्यालय के स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

समारोह में विशिष्ट अतिथी फतेहपुर-शेखावाटी विधायक हाकम अली खान, कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रोफेसर डॉ. बलराज सिंह, कृषि महाविद्यालय फतेहपुर-शेखावाटी के अधिष्ठाता प्रोफेसर हरफूल सिंह, प्रगतिशील कृृषक सुण्डाराम कुमावत दांता, जगदीश पारीक अजीतगढ़, संतोष पचार बेरी, राहुल खेदड़ सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक,समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी मौजूद रहे।

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