राज्य सरकार सभी पात्र हितग्राहियों को पक्के आवास मुहैया कराने के प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणा

राज्य सरकार सभी पात्र हितग्राहियों को पक्के आवास मुहैया कराने के प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणा

छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के लिए कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पारित

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के सभी पात्र हितग्राहियों को पक्के आवास मुहैया कराने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार यदि आवास योजना के पात्र हितग्राहियों का सर्वे आरंभ नहीं कराती है, तो राज्य सरकार एक अप्रैल से 30 जून 2023 के बीच आवास योजना के पात्र हितग्राहियों का स्वयं नवीन सर्वे कराएगी। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। चर्चा के बाद राज्यपाल के अभिभाषण के लिए कृतज्ञता ज्ञापन का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। 

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा है कि वर्ष 2011 में जनगणना हुई थी। पिछले 12 वर्षों में केन्द्र और राज्य प्रवर्तित योजनाओं के क्रियान्वयन से आम नागरिकों के जीवन में क्या परिवर्तन हुए, इसकी अद्यतन जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि इन योजनाओं में इस अवधि में जुड़े पात्र हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को हमारा यह सुझाव है कि देश में विगत 12 वर्षों में निर्मित पक्के आवास, शेष कच्चे अथवा एक कमरे वाले आवास, शौचालय निर्माण योजना, उज्ज्वला गैस योजना, किसानों की आय दोगुनी करने, शत-प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण आदि योजनाओं की अद्यतन स्थिति का सर्वप्रथम आकलन किया जाए। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के सदस्यों से आग्रह करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार से जनगणना कराने के आग्रह के लिए पक्ष-विपक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलने के लिए एक साथ चलें। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 8 लाख 44 हजार आवास पूर्ण किए जा चुके हैं, इस योजना में राज्य के 11 लाख 76 हजार 150 आवासों के लक्ष्य के विरूद्ध 11 लाख 76 हजार 067 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जो लक्ष्य का 99.99 प्रतिशत है। आवासों के पूर्णता के प्रतिशत में छत्तीसगढ़ असम, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड, आन्ध्रप्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों से बेहतर स्थिति में है। छत्तीसगढ़ में लक्ष्य के 71.79 प्रतिशत आवास पूर्ण किए जा चुके हैं। 

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच प्रगाढ़ संबंध हैं। दोनों राज्यों के बीच भौगोलिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंध हैं। हमारे राज्यपाल ओडिशा से हैं। उनके अनुभवों का लाभ छत्तीसगढ़ को मिलेगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों, किसानों, आदिवासियों, अनुसूचित जनजातियों, महिलाओं की सरकार है। इनके हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी। राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट पर रासायनिक उर्वरकों के अनुरूप अनुदान देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है, जिस पर कोई जवाब नहीं मिला है। हमनेे कोदो-कुटकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का अनुरोध भी केन्द्र से किया है, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। राज्य सरकार ने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3000 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया और समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया गया है। लाख उत्पादक किसानों को क्रेडिट कार्ड देने तथा फसल बीमा योजना में शामिल करने का अनुरोध भी केन्द्र से किया है, इस पर भी कोई निर्णय नहीं हुआ। हमें धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी नहीं दी गई। इसी तरह हमने केन्द्र से मंडी शुल्क की राशि में वृद्धि करने, नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग और राजनांदगांव क्षेत्र में आरसीपीएलडब्ल्यूई योजना के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों को पूर्ण करने की मार्च 2023 तक की समय अवधि को मार्च 2024 तक बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार ने रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट घोषित करने और कार्गो हब की स्वीकृति देने का आग्रह केन्द्र से किया है। एलडब्ल्यूई क्षेत्र में शौचालय निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री के परिवहन और प्रशिक्षित मिस्त्री की उपलब्धता के लिए प्रोत्साहन राशि 12 हजार रूपए से बढ़ाकर 20 हजार रूपए प्रति शौचालय करने का आग्रह भी किया, जिसकी अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय बलों की तैनाती पर हुए सुरक्षा व्यय 11 हजार 828 करोड़ रूपए की राशि केन्द्र सरकार से लेना बाकि है। गत वर्षों में इस राशि में से केन्द्रीय करों की देय राशि में से मात्र एक हजार 288 करोड़ रूपए का समायोजन किया गया है। जबकि सम्पूर्ण राशि छत्तीसगढ़ सरकार को वापस मिलनी चाहिए। पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना के तहत छत्तीसगढ़ को भी उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह 90 प्रतिशत सहायता राशि केन्द्र से मिलनी चाहिए। इसी तरह ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं में केन्द्र और राज्य द्वारा दी जाने वाली राशि का अनुपात जो पहले केन्द्र द्वारा 90 प्रतिशत, 75 प्रतिशत राशि देने का प्रावधान था, उसे अब 50-50 प्रतिशत कर दिया गया है। हमने इन योजनाओं में केन्द्र द्वारा दी जाने वाली राशि का प्रतिशत पूर्व में दी जाने वाली राशि के अनुरूप करने का आग्रह केन्द्र से किया है। 

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि खनिजों से मिलने वाली एडिशनल लेवी की 4169 करोड़ 86 लाख रूपए की राशि पर छत्तीसगढ़ का हक है। यह राशि छत्तीसगढ़ को दी जानी चाहिए। कोयला और मुख्य खनिजों की रायल्टी दरों में वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि राज्य को अधिक राजस्व मिल सके। छत्तीसगढ़ के स्थानीय उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने के लिए सीएमबीसी को प्रतिवर्ष 5 लाख मीट्रिक टन कोयला आबंटित करने का आग्रह कोल इंडिया से किया गया है। इसी प्रकार राज्य सरकार के कर्मचारी एवं नियोक्ता अशंदान की एनपीएस निधि में राज्य सरकार द्वारा जमा की गई राशि 17 हजार 240 करोड़ रूपए केन्द्र से वापस मांगी है, लेकिन राशि नहीं मिली। राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान की व्यवस्था केवल पांच वर्षों के लिए लागू थी। इस व्यवस्था को आगामी पांच वर्षों के लिए आगे बढ़ाने का आग्रह केन्द्र से किया गया। लेकिन इसे नहीं बढ़ाया गया। उत्पादक राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ को इससे हानि हो रही है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्रों के निवासियों को सोलर पावर प्लांट की स्थापना के माध्यम से विद्युत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा केन्द्र से पांच मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को हरित गतिविधियों के रूप में मान्य करते हुए इसके लिए वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वन व्यपवर्तन से छूट प्रदान करने का आग्रह किया गया है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत एलडब्ल्यूई जिलों में पांच हेक्टेयर भूमि शिक्षण संस्थान के लिए देना मान्य किया गया था, जिसे केन्द्र ने वापस ले लिया गया है। राज्य सरकार ने पूर्व की तरह शिक्षण संस्थान के लिए 5 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। इसी तरह पंचायत राज संस्थान 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 की लगभग 300 करोड़ रूपए की राशि जो राज्य सरकार को अभी तक नहीं मिली है। केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्रांश की कमी की गई है, जिससे राज्यों पर आर्थिक भार बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि किसानों, मजदूरों, गरीबों, अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के खाते में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से डेढ़ लाख करोड़ रूपए की राशि डाली गई है। उन्होंने राज्य सरकार की उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी दी। 

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