कृषि विशेषज्ञों द्वारा विशेष कृषि बुलेटिन जारी

ज्वार की मिलवा खेती होती है फायदेमंद

हल्की जमीनों में धान की मध्यम अवधि की किस्में बोने की सलाह

रायपुर, कृषि विशेषज्ञों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने खरीफ मौसम में हल्की जमीनों पर 100 से 115 दिन में पकने वाली धान की किस्मों की बोआई करने की सलाह किसानों को दी है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा आज यहां जारी विशेष कृषि बुलेटिन में कहा है कि धान की दंतेश्वरी, पूर्णिमा, इंदिरा बारानी धान-1, अनंदा, समलेश्वरी, एमटीयू-1010 तथा आई.आर. 36 किस्में 100 से 115 दिन के भीतर पक कर तैयार हो जाती है। उन्होंने कहा कि इन किस्मों के प्रमाणित बीज उपलब्ध न हो तो किसान स्वयं के बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल एवं बाविस्टीन से उपचारित कर बोनी कर सकते हैं। [caption id="attachment_88818" align="aligncenter" width="448"]bhavtarini bhavtarini[/caption] कृषि बुलेटिन में यह भी बताया गया है कि कतार बोनी धान में बोआई के तीन दिन के अंदर अंकुरण पूर्व प्रस्तावित निंदानाशक पेण्डीमेथेलिन 1.25 लीटर की 500 लीटर पानी में घोल बनाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए। शीघ्र एवं मध्यम अवधि की धान किस्मों की कतार बोनी करनी चाहिए। इनमें बियासी की आवश्यकता नहीं होती तथा धान की फसल 10-15 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है। सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के लिए अंकुरण पूर्व क्यूजोलाफाप-पी-एथिल, इमेजाथाइपर या पेन्डीमेथिलिन या मैट्रीबुजिन का छिड़काव अनुशंसित मात्रा में करना फायदेमंद होता है। उकठा रोग से प्रभावित क्षेत्रों में अरहर के साथ ज्वार की मिलवा खेती करने से अरहर में इस रोग का प्रकोप कम हो जाता है।