रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव: औद्योगिक विकास से मिलेगी प्रदेश को गति
डा. आनन्द प्रकाश शुक्ल
किसी भी देश और प्रदेश के विकास के लिये आवश्यक है कि वहां प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर मात्रा में उपलब्धता हो। इस मामले में मध्यप्रदेश पर प्रकृति की बडी मेहरबानी है। यहां नदियों का जाल, पर्याप्त जल संरचनाएं, अकूत वन संपदा और खनिज है। खनिज संसाधनों से समृद्ध राज्य होने के कारण देश के खनन क्षेत्र में महत्वपूर्ण और अग्रणी भूमिका है। आप गौर करें तो पता चलेगा कि मध्य प्रदेश, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो हीरे का उत्पादन करता है साथ ही मैंगनीज और तांबा अयस्क के उत्पादन में भी अग्रणी है। प्रकृति का यह उपहार मप्र के लिये एक प्रकार से वरदान है। इसका लाभ यह है कि इन खनिजों की उपलब्धता से प्रदेश में विभिन्न औद्योगिक उपयोग की सभी सामग्री सहज ही मिल जाती हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश रॉक-फॉस्फेट उत्पादन में दूसरे, सीमेंट उद्योग के लिए आवश्यक चूना पत्थर उत्पादन में तीसरे और कोयला उत्पादन में चौथे स्थान पर है। कोल-गैस के उत्पादन में भी राज्य दूसरे स्थान पर है, जो वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों और स्थिरता की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता को साफ तौर पर दर्शाता है।
सबसे अहम बात यह है कि प्रदेश के मुखिया डा मोहन यादव के नेतृत्व में अब रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का श्रृंखलाबद्ध आयोजन हो रहा है। इसका लाभ यह होगा कि क्षेत्रीय आधार पर संसाधनों का भरपूर प्रयोग तो होगा ही साथ ही स्थानीय रोजगार को भी बढावा मिलेगा। युवाओं को रोजगार के लिये किसी अन्य प्रदेश में परिवार से दूर नहीं जाना पडेगा। प्रदेश की इस अपार प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता का प्रयोग करने और प्रदेश में निवेश को बढावा देने के उदेश्य से राजधानी भोपाल में खनन कान्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव से मध्यप्रदेश सरकार राज्य को खनन और खनिज-आधारित उद्योगों का प्रमुख केंद्र बनाने की पहल कर रही है। इस प्रकार के आयोजन से राज्य में आर्थिक गतिविधियों में बढोत्तरी और संमृद्धि होगी।
भोपाल में आयोजित यह कॉन्क्लेव खनिज कंपनियों, उद्योग प्रतिनिधियों और अन्य को एक मंच पर लाएगा जिससे राज्य में उद्योग को बढावा तो मिलेगा ही साथ ही राज्य में एक प्रकार से नवाचार को भी प्रोत्साहन मिलेगा। एक और बात है कि इस आयोजन का उद्देश्य राज्य में निवेश को अधिक से अधिक संख्या में आकर्षित करना है। यही कारण है कि इस आयोजन में कोयला, चूना पत्थर, तेल और गैस, सहित अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की संभावनाओं पर जमकर चर्चा होगी। साथ ही खनन में कृत्रिम और मशीन लर्निंग की अधिक से अधिक भूमिका पर भी चर्चा होगी । यह समय की मांग भी है।
जानकारों का तो कहना है कि इस प्रकार के आयोजन में डिजिटल परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा, और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कोल गैस जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की संभावनाओं का भी अन्वेषण किया जाएगा। सीमेंट, ऊर्जा, और खनिज-आधारित उद्योगों से संबंधित मुद्दों पर गहन चर्चा के लिए एक राउंड टेबल मीटिंग भी होनी है । ऐसा विश्वास है कि इस कॉन्क्लेव में कई प्रमुख संस्थानों के साथ एमओयू भी होंगे, जो राज्य के खनन बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से किए गए निवेश प्रस्तावों को और गति प्रदान करेंगे।
यह कहना कहीं से भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अब मध्यप्रदेश उद्योग तथा निवेश के क्षेत्र में नई पहचान स्थापित कर रहा है। इस दिशा में लगातार उद्योगपतियों से संवाद के प्रतिफल में एक समृद्ध औद्योगिक परिवेश प्रदेश में नजर आने लगा है।अभी हाल ही में उज्जैन से लगे निनोरा में स्थापित नवीन औद्योगिक इकाई भी इसी प्रयासों की ही एक कड़ी है। ग्राम निनोरा में 355 करोड़ रुपए निवेश वाली प्रतिभा स्वराज प्रायवेट लिमिटेड कंपनी की गारमेंट इकाई के शुरू होने से अब हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। विशेष रूप से राज्य शासन की महिला सशक्तिकरण नीति के तहत इस औद्योगिक इकाई में 70% से अधिक कर्मचारी महिलाएं हैं। इतना ही नहीं इस इकाई के स्थापित होने से आसपास की खेती भी समृद्ध होगी। किसानो की आय में भी वृद्धि होगी। इस औद्योगिक इकाई के प्रथम चरण में लगभग 100 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, जिसमें आगे चलकर 355 करोड़ रुपए का निवेश होगा। निवेश को बढावा देने और रोजगार को स्थापित करने के उदेश्य से दिन रात अथक परिश्रम कर रहे सीएम डा मोहन यादव का कहना है कि इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे प्रयास हैं जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढावा दिया जा सकता है। उनका कहना है कि प्रदेश में खेती तथा पशुपालन के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने का बेहतर प्रयास किया जा रहा है। अभी प्रदेश में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9% हिस्सा है, जिसे बढ़ाकर 20% तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश में इसके पहले भी उद्योग से जुडी कई समिटें हुईं जो काफी बडी थी। रोजगार भी मिले किंतु उसके लिये बडी डिग्री और विशेषज्ञता वाले युवाओं को ही मौका मिला। रीजनल कान्क्लेव से यह फायदा होगा कि स्थानीय स्तर पर ही युवाओं को उनके हुनर के आधार पर काम का मौका मिलेगा। ऐसा होना जरूरी भी है। इस मामले में सीएम डा मोहन यादव की सराहना की जानी चाहिए। अच्छे कार्यों की समाज द्वारा जमकर तारीफ होनी चाहिए। यह समाज की स्पष्ट विचारधारा को दर्शाता भी है। रीजनल इंडस्टृी कान्क्लेव की शुरूआत उज्जैन से हुई थी जो जबलपुर, ग्वालियर, सागर होते हुए अब रीवा होने जा रही है। इसके बाद शहडोल, नर्मदापुरम भी होनी है। इसके बाद ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट भी होनी है जिसमें वैश्विक स्तर के निवेशक भाग लेंगे। यह सही है कि मप्र प्राकृतिक संसाधनों के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी आगे है जो प्रकृति की मेहरबानी ही कही जायेगी। ऐसे में इस संसाधनों की उपलब्धता को उद्योग और रोजगार के लिये उपयोग करना न सिर्फ समय की मांग है बल्कि मौजूदा पीढी के लिये आवश्यक है। आर्थिक गतिविधियों को बढावा भी मिलेगा। ऐसे में यह कहना किसी प्रकार का अतिरेक नहीं होगा कि प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति मिलेगी जो आने वाले समय में मध्यप्रदेश स्वर्णिम इतिहास लिखने में कामयाब होगा।
(लेखक – वरिष्ठ पत्रकार हैं।)