...जब गांव तक आ पहुंचा आठ फिट लंबा मगरमच्छ

जांजगीर-चांपा अकलतरा क्षेत्र का कोटमीसोनार गांव मगरमच्छों के लिए जाना जाता है। यहां अक्सर ये खतरनाक और ताकतवर प्राणी खुले में घूमते नजर आ जाते हैं। कई बार इनकी वजह से बड़े हादसे भी हुए हैं और लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। शनिवार को यहां एक रेस्क्यू कर खुले में घूम रहे 8 फीट लंबे मगरमच्छ को ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम की मदद से रेस्क्यू कर पकड़ लिया है। इसे अब कोटमीसोनार स्थित क्रोकोडाइल पार्क में छोड़ा गया है। क्षेत्र के विशाल और ऐतिहासिक मूड़ा तालाब सहित कई तालाबों में लंबे समय से कई मगरमच्छ रह रहे हैं और ये अक्सर गांवों तक भी आ जाते हैं। यहां मगरमच्छों की बड़ी आबादी को देखते हुए क्रोकोडाइल पार्क की भी स्थापना की गई है। पार्क में 3 सौ से भी ज्यादा मगरमच्छ मौजूद हैं। प्रजनन का समय बरसात के दिनों में क्षेत्र में अक्सर मगरमच्छ गांवों तक आ जाते हैं। इस समय बारिश की वजह से तालाब भरते हैं, इसके अलावा इनका प्रजनन काल होने की वजह से बच्चे भी इसी समय पैदा होते हैं। खास बात यह है कि मगरमच्छ हर साल प्रजनन करते हैं, जिसके कारण छोटे मगरमच्छ के बधो भी खुले में मिलते हैं। पिछली कई पीढ़ियों से इनसे रू-ब-रू हो रहे ग्रामीणों ने इन्हें काबू करना भी सीख जिया है।