मूंग बेचने वाले किसानों को खरीदी केंद्रों पर  चबाने पड़ रहे नाकों चने 

मूंग बेचने वाले किसानों को खरीदी केंद्रों पर  चबाने पड़ रहे नाकों चने 

Dr.  Brajesh Sharma 
नरसिंहपुर । सरकार को समर्थन मूल्य पर मूंग देने के लिए किसानों को नाकों चने चबाना पड़ रहे हैं  । कहीं उन्हें सर्वेयरों की जेब गर्म करना पड़ रही है तो कहीं-कहीं कई दिनों तक ट्रैक्टरों में अनाज भरकर मंडी या वेयरहाउस में  वक्त गुजारना पड़ रहा है  । कहीं वारदाने नहीं है । जिससे उन्हें अपने  अनाज को  बेचने का इंतजार करना पड़ रहा है ।  कहीं  अनाज का पैसा एक-एक  माह गुजर जाने के बावजूद नहीं मिला है ।

https://youtu.be/a3LEn65mBdY

पूरे मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी का अंतिम दौर है ।  हर जगह किसान सरकार की ढुलमुल नीतियों और केंद्र की व्यवस्थाओं से दो-चार हो रहा है ।  इसकी कुछ  बानगी प्रदेश के दो  बड़े खेतीबाड़ी वाले जिलों में आसानी से देखकर समझा जा सकता है कि किस तरह किसान व्यवस्थाओं से परेशान है ।
प्रदेश में अच्छी खेती-बाड़ी करने वाले जिलों में विदिशा और नरसिंहपुर शामिल हैं ।

https://youtu.be/qyG-TAIqnq8

पहले विदिशा जिले की बात करें तो लोगों को याद होगा कि एक हफ्ते पहले ही नरसिंहपुर जिले  के पड़ोसी जिले रायसेन  में राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने मूंग खरीदी केंद्र का जायजा लिया था और खरीदी केंद्र पर अवैध वसूली की शिकायत पर जमकर अधिकारियों की क्लास भी ली थी लेकिन विदिशा जिले में ऐसा किसी भी जनप्रतिनिधि ने नहीं किया जिसका फायदा उठाते हुए मूंग खरीदी केंद्र के जिम्मेदारों की सहमति से सर्वेयर के द्वारा विदिशा जिला मुख्यालय की पुरानी उपज मंडी स्थित गोदाम क्रमांक 2 में सर्वेयर  द्वारा हर एक किसान से 300  रु प्रति  क्विंटल  के हिसाब से वसूली करता  दिखा इसके बाद ही खरीदी की जा रही है! 

ऐसा कुछ आरोप   मूंग की उपज तुलाने उपार्जन केंद्र पर पहुंचे किसान बाबू सिंह राजपूत ने लगाए ।
बाबू सिंह राजपूत ने एक वीडियो साझा करते हुए पैसे के लेनदेन की पुष्टि भी की है  । किसान ने बताया कि वह शुक्रवार को अपनी उपज लेकर खरीदी केंद्र पहुंचा था वहां मौजूद सर्वेयर  ने पैसे नही देने के कारण उपज को नही तौला ।  शनिवार को पैसे के लेनदेन की बात हुई फिर उपज को तौली लेकिन शनिवार को सर्वेयर ने 2700 रुपए लेने के उपरांत भी मूंग की खरीदी ऑनलाइन नहीं  दिखाई  । कच्ची हस्तलिखित पर्ची किसान को देकर शेष 300  रु और भुगतान कर ऑनलाइन पर्ची लेने का कहा जिस पर किसान ने सोमवार की शाम ऑनलाइन पर्ची के लिए  बकाया 300 रु  दिए तब उसकी  उपज को ऑनलाईन विक्रय होना दर्शाया गया! 

जब हमने इस मामले में किसान कल्याण तथा कृषि विकास आधिकारी केएस खपेडिया जो कि (डीडीए विदिशा)  हैं ,। उनसे बातचीत की तो उन्होने ने पल्ला झाड़ते हुए सारी बात मार्फेड जिला आधिकारी केएस ठाकुर पर, डालते हुए उनसे संपर्क करने को कहा और जब  केएस ठाकुर से बात करना चाहि तो उन्होंने  फोन रिसीव नहीं किया! जब विदिशा जिला मुख्यालय का यह हाल है तो जिले के अन्य खरीदी केदो की वास्तविकता को  बेहतर समझा जा सकता है ।

अब दूसरे जिले नरसिंहपुर की भी  तस्वीर देखिए  ।
नरसिंहपुर जिले में प्रशासन द्वारा करीब 41 मूंग उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं लेकिन अब  मूंग उपार्जन खरीदी केन्द्रो पर वारदाने उपलब्ध नहीं कराये जा रहे। वारदाने नहीं होने के कारण मूंग विक्रय करने में किसानों को 5 से 6 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है ।

https://youtu.be/GkvGykDB9Go
वारदाने की कमी का ऐसा ही मामला लिंगा में बने मूंग उपार्जन केंद्र नायक देवी प्रभा वेयरहाउस में देखने को मिला जहां पर किसानों ने बताया कि 6 दिनों से हम कतार में लगे हुए हैं लेकिन वारदानों की कमी के कारण हमारी मूंग खरीदी नहीं हो पा रही है  । इसके  पहले फटे वारदाने को किसानों ने सिलकर मूंग विक्रय की अब तो फटे वारदाने भी नहीं बचे हैं  । अब एक अधिकारी कहते हैं कि  मार्फेड ने दूसरे विभाग से वारदाने उधार मांगे हैं   । 
 प्रशासन  को खरीदी केंद्र की तैयारियों में आखिर कहां चूक हुई कि वारदानों की कमी आ गई।जब इस  बारे में  डीएमओ मूलचंद कुसरे को  अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि पाली वेयरहाउस से वारदाना मंगवाए  लेकिन पाली वेयरहाउस में भी वारदाने नहीं मिल सके ।    । किसान मायूस, बेबस होकर  वेयरहाउस में तीन-चार दिनों से  वारदानों का इंतजार कर रहे हैं और वेयरहाउस के बाहर लंबी-लंबी ट्रैक्टर ट्रक की लाइन लगी हुई है  ।
खरीदी केंद्र पर आए  कृषि विभाग के अधिकारियों से भी  किसानों ने शिकायत की लेकिन वह  भी  बेअसर रही। 

जिले के गाडरवारा तहसील में बने मूंग खरीदी केन्द्रो भी वारदानें नहीं  है। उधर किसानों को अनाज देने के महीने भर गुजर जाने के बावजूद भुगतान नहीं मिला है मसलन समनापुर के बाबूलाल पटेल कहते हैं कि उन्होंने लगभग 3:30 लाख  रुपए की मूंग दी लेकिन 24 जुलाई हो जाने के बावजूद उन्हें राशि का भुगतान नहीं हो सका । किसान बाबूलाल पटेल का आरोप है कि सर्वेयर तंग करते हैं कहीं एक या दो फीसदी  मिट्टी कचरा होने के बावजूद उसे लिया नहीं जाता जबकि जुगाड़ करने वालों की चार से पांच फीसदी कचरा होने पर भी आसानी से ले लिया जाता है । सर्वेयरों की मनमानी है ।  इन्हीं व्यवस्थाओं के कारण  गांव के करीब 40% किसानों ने पंजीयन नहीं कराया  ।

इसके पहले मूंग खरीदी में उपार्जन सीमा को लेकर भी किसान काफी तंग रहे इसलिए मजबूर होकर उन्होंने  7000- 7100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से व्यापारियों को अपनी उपज बेच दी  । इसके बाद जब किसने की मांग उठी तो उपार्जन सीमा और बढ़ाई गई तब तक आधे से ज्यादा किसान 8454 की बजाय  करीब 7000 रु प्रति  क्विंटल की दर से अपनी मूंग बेचने मजबूर हो गए ।

किसानों  का  तो अब आरोप है कि समर्थन मूल्य पर कोई भी खरीदी हो । हमेशा प्रशासन, सर्वेयरों , समिति प्रबंधकों की मनमानी चलती है इसलिए अब समर्थन मूल्य पर खरीदी बंद कर देना चाहिए ।

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