राष्ट्रपति ने किया रानी दुर्गावती की गौरवशाली धरोहर के संरक्षण का शिलान्यास
दमोह
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने आज सिंग्रामपुर में रानी दुर्गावती के किले के संरक्षण को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अब रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर उनकी स्मृति में तीन दिन का कार्यक्रम प्रदेश में किया जाएगा। इसमें उनकी वीरगाथा की जानकारी दी जाएगी। सिंगौरगढ़ का किला रानी दुर्गावती की वीरता का प्रतीक है, अब इसका जीर्णोद्धार होगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि प्रतिभा किसी क्षेत्र, जाति व समुदाय तक सीमित नहीं रहती। प्रतिभा प्रतिभा होती है जो अपना स्थान खुद बना लेती है। जनजातीय समाज के लोगों ने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए प्रहरी के रूप में काम किया है जिसके कारण मध्य प्रदेश वन संपदा के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। रानी दुर्गावती ने 16वीं सदी में आत्मगौरव की रक्षा के लिए बलिदान दिया है।
मध्यप्रदेश को नेशनल ट्रायबल म्यूजियम हब केरूप में विकसित किया जा सकता है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारें काम करें। राष्ट्रपति ने ये बातें दमोह जिले के सिंग्रामपुर में किले के संरक्षण के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर प्रदेश में तीन दिन तक कार्यक्रमों का ऐलान किया। उन्होंने कहा रानी का बलिदान दिवस कार्यक्रम हमें देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष जनजातीय कलाकार भूरीबाई को केंद्र सरकार ने सम्मानित किया।
स्वागत के बाद कार्यक्रम में सिंगौरगढ़ किले के शौर्य पर बनी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसमें किले के ऐतिहासिक और सामरिक महत्व को बताया गया। इसके बाद स्कूल के बच्चों ने रानी दुर्गावती की वीरता पर गायन पेश किया। जनजातीय विभाग की पुस्तिका बानगी का विमोचन और जनजातीय कलाकारों द्वारा कला प्रशिक्षण वर्चुअल क्लास के पोर्टल आदिरंग डॉट कॉम का शुभारंभ भी राष्ट्रपति कोविन्द ने किया। पोर्टल का निर्माण वन्या प्रकाशन द्वारा किया गया है। राष्ट्रपति ने इस मौके पर जनजातीय वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को शंकरशाह और रानी दुर्गावती पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया। इस मौके पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा केंद्रीय राज्यमंत्री द्वय प्रह्लाद पटेल तथा फग्गनसिंह कुलस्ते भी मौजूद थे।
जिले के जबेरा से जनपद के सिंगौरगढ़ किला आज भी रानी दुर्गावती की वीरता का गौरवशाली इतिहास लिए मजबूती के साथ खड़ा है। किले की दीवारों को इस मजबूती के साथ बनाया गया था कि इसकी सुरक्षा को भेद पाना मुगल शासकों के बस की बात नहीं थी। लेकिन इस किले का संरक्षण करना तक पुरातत्व विभाग भूल गया। सिंगौरगढ़ किला अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई पांच सौ वर्षों से लड़ रहा है। सिंगौरगढ़ किले के पास स्थित जलाशय है। बताया गया है कि तालाब के अंदर ही एक बावड़ी है। जहां पर स्वर्ण मुद्राओं का खजाना छिपे होने की बात कही जाती है।
सिंगौरगढ़ किला व उसके आसपास के क्षेत्र के विकास की दृष्टि से 26 करोड़ की राशि से विकास कार्य कराए जाएंगे। इसमें दलपतशाह की समाधि, मंदिर स्थान, सिंगौरगढ़ का किला, फीडरलेक आफ निरान वाटरफाल, प्रवेश द्वार, निदान फाल, बैसा घाट विश्राम गृह, नजारा व्यू पाइंट, वलचर प्वाइंट व विजिटर फेसीलिटी जोन आदि के मरम्मत व सौंदर्यीकरण के विकास कार्य होंगे। आने वाले समय में यह क्षेत्र अपने पर्यटक स्थलों के रूप में अलग पहचान बना पाएगा।