सिंहस्थ के कार्यों की निरंतर होगी समीक्षा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सिंहस्थ के कार्यों की निरंतर होगी समीक्षा : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

उज्जैन के साथ ही पूरे प्रदेश और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण आयोजन है सिंहस्थ

सड़क और रेल सुविधाएं बढ़ाने के साथ हवाई यातायात भी होगी प्राथमिकता

श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए जुटाएंगे अधिकाधिक सुविधाएं

अनेक विभागों ने सिंहस्थ के लिए बढ़ाई कार्यों की गति

बुजुर्ग नागरिकों को मेला स्थल पर कम से कम चलना पड़े, इसके लिए होंगे प्रबंध

सिंहस्थ 2028 के लिए गठित मंत्री-मंडलीय समिति की बैठक में हुई कार्यों पर चर्चा

भोपाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रति 12 वर्ष में उज्जैन में होने वाला सिंहस्थ प्रदेश के साथ ही राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है। पूरे विश्व में इसकी गूंज होती है। सिंहस्थ के लिए राज्य सरकार तैयारियां प्रारंभ कर चुकी है। सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए अनेक नए निर्माण कार्य भी होंगे। वर्तमान सुविधाओं का उन्नयन भी किया जाएगा और उज्जैन में ठहरने, भोजन व्यवस्था और यातायात की दृष्टि से कई व्यवस्थाएं की जाएंगी। इन सभी कार्यों को शासकीय विभाग और अन्य उपक्रम तालमेल के साथ पूर्ण करने के लिए जुट जाएं। सड़क और रेल परिवहन सुविधाओं के विकास के साथ हवाई यातायात को भी प्राथमिकता देते हुए इसे दीर्घकालिक योजना में जोड़ा जाए। बैठक में इंदौर- उज्जैन मार्ग को सिक्स लेन बनाने, इंदौर- उज्जैन वैकल्पिक फोर लेन मार्ग (दूरी 49 किमी) सहित अनेक महत्वपूर्ण कार्यों के संबंध में चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री डॉ. .यादव आज मंत्रालय में सिंहस्थ 2028 के लिए गठित मंत्री-मंडलीय समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सिंहस्थ से जुड़े कार्यों को समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ 2028 के लिए की जा रही तैयारियों की निरंतर समीक्षा की जाएगी। बैठक में उप मुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा मंत्री राजेंद्र शुक्ला, नगरीय विकास एवं आवास और संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह, कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल और नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी भी उपस्थित थीं। मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ अधो-संरचना: 2028 कार्य योजना, पड़ाव क्षेत्र में टीपीएस के माध्यम से विकास, पार्किंग परिवहन प्रस्ताव और उज्जैन इंदौर मेट्रो परियोजना पर विभागों द्वारा की जा रही कार्यवाही की अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ सिर्फ उज्जैन का नहीं है। यह उज्जैन और इंदौर दोनों संभागों के साथ सम्पूर्ण प्रदेश का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन है। श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में आगमन से अर्थ व्यवस्था को भी लाभ मिलता है। प्रदेश में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन, इंदौर के साथ ही ओंकारेश्वर और महेश्वर जैसे स्थानों पर भी पहुंचते हैं। यहां आने वाले यात्री इस संपूर्ण अंचल का भ्रमण करते हैं। इसके अनुसार ही आवश्यक सुविधाओं का विकास किया जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बुजुर्ग यात्रियों की सुविधा के लिए पार्किंग के स्थान, घाट के जितने नजदीक होंगे उन्हें उतना ही कम से कम पैदल चलना पड़ेगा। विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के परिसर के मैदान भी पार्किंग के लिये उपयोग में लिए जाएं। इसके लिए अभी से अध्ययन और सर्वेक्षण कर जरूरी कार्रवाई की जाए।

शहरी क्षेत्र में फोर लेन मार्ग के निर्माण को गति दी जाए

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि उज्जैन में केडी गेट से वीर दुर्गादास की छतरी से गोंसा मार्ग की लंबाई पर फोर लेन मार्ग के निर्माण को गति देते हुए शीघ्र पूर्ण किया जाए। इस प्रस्तावित मार्ग के बन जाने से गोपाल मंदिर और मुख्य शहरी भाग को सीधे जावरा, बड़नगर तथा काल भैरव की तरफ जाने के लिए नागरिकों को सुविधा मिलेगी। आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान में उज्जैन में सदावल में हेलीपैड का निर्माण भी किया जा रहा है। तीर्थ-दर्शन योजना में आने वाले यात्री यहां आसानी से पहुंच कर इस मार्ग के बन जाने से सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। शहरी क्षेत्र को सीधे हेलीपैड से जोड़ने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि आमजन को भविष्य में प्राप्त होने वाली सुविधा के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग द्वारा कार्रवाई की जाए।

मेट्रो के साथ ही अन्य रेल सुविधाएं बढ़ाने पर भी होगा फोकस

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा उज्जैन-इंदौर मेट्रो के साथ ही अन्य रेल सुविधाओं के विकास के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएंगे। बैठक में जानकारी दी गई कि रेल मंत्रालय से समन्वय के लिए पूर्व में परिवहन विभाग नोडल विभाग की भूमिका निभा रहा था। अब लोक निर्माण विभाग को यह दायित्व दिया गया है। महाकालेश्वर (उज्जैन) से इंदौर मेट्रो परियोजना में दूरी 47 किलामीटर और प्रस्तावित स्टेशनों की संख्या 8 है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने इसके लिए फिसीबिलिटी स्टडी की है। कार्य की अनुमानत लागत 10 हजार करोड़ है और अगले साढ़े तीन वर्ष में कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है। इस परियोजना से संबंधित विस्तृत प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पूर्व के स्वीकृत विभागीय कार्यों को भी समय-सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने घाटों के जीर्णोद्धार और अन्य घाटों के सौंदर्यीकरण के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में कान्ह नदी व्यपवर्तन योजना और नए बैराजों के निर्माण के संबंध में भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सिंहस्थ:2028 के संदर्भ में विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने और आवश्यक सुविधाओं के विकास के लिए समय- सीमा में कार्यों को पूर्ण करने के निर्देश दिए।

इन महत्वपूर्ण कार्यों पर हुई चर्चा

प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास नीरज मंडलोई ने प्रेजेंटेशन दिया। बैठक में लोक निर्माण, जल संसाधन, ऊर्जा, नवकरणीय ऊर्जा, आयुष, संस्कृति और अन्य विभागों द्वारा संचालित कार्यों की जानकारी दी गई। अधोसंरचना कार्ययोजना में कुल 21 विभागों के 450 कार्य सिंहस्थ मद में शामिल किए गए हैं। साथ ही विभागीय मद में 181 कार्य निर्धारित किए गए हैं। जल संसाधन विभाग द्वारा 29.21 किलोमीटर घाट निर्माण, 30.15 कि.मी. कान्ह नदी डायवर्शन, शिप्रा नदी पर 14 और कान्ह नदी पर 11 बैराज का निर्माण होगा। शिप्रा नदी में निरंतर जल प्रवाह के लिए सिलार खेड़ी जलाशय का विस्तारीकरण कर उसे भरने का कार्य किया जाएगा। सेवरखेड़ी बैराज के माध्यम से जल उद्धवहन किया जाएगा। जल संसाधन विभाग शिप्रा नदी के तट पर 30 किमीटर लम्बे घाट तक पहुंच मार्गों का निर्माण करेगा। ऊर्जा विभाग द्वारा अतिरिक्त उच्च दबाव से संबद्ध कार्य का नवीन ईएचवी उप केंद्र और अतिरिक्त उच्च दबाव केंद्र भी बनाया जा रहा है।

नगरीय प्रशासन और विकास विभाग उज्जैन शहर की जल आवर्धन योजना पर 357 करोड़ रुपए की राशि व्यय करेगा। सीवरेज परियोजना, देवास रोड पर बस स्टेंड निर्माण और शहर की सड़कों को चौड़ा बनाने के कार्य भी लिए जा रहे हैं। सिंहस्थ के उद्देश्य से महाकाल मंदिर और मेला स्थल पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 23 पहुंच मार्गों एवं अनुषांगिक अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा। शिप्रा नदी के समानान्तर ई-को मोबेलिटी कॉरिडोर का विकास 150 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। इंदौर उज्जैन ग्रीनफील्ड फोर लेन परियोजना(लम्बाई 48.05 किमी) का कार्य हाईब्रिड एन्युटी मॉडल पर निर्माण 950 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।

आयुष विभाग एक 50 बिस्तर क्षमता का अस्पताल, एक छात्रावास और आडिटोरियम का निर्माण करेगा। पर्यटन और संस्कृति विभाग द्वारा महेश्वर में अहिल्या लोक के निर्माण में किया जाएगा। विभिन्न संग्रहालयों और होटल शिप्रा के उन्नयन के कार्य भी होंगे। कोठी महल, उज्जैन में वीर भारत संग्रहालय 80 करोड़ रुपए राशि की लागत से बनेगा। इसके साथ ही सिंहस्थ मेला क्षेत्र में काल भैरव, मंगलनाथ, दत्ताखाड़ा और महाकाल क्षेत्र में 3360 हैक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न व्यवस्थाएं की जाएंगी। उज्जैन में 10 किमी के प्रस्तावित पार्क क्षेत्र में उज्जैन-इंदौर राज्य राजमार्ग और उज्जैन- गरोठ राष्ट्रीय राज मार्ग के अलावा उज्जैन-देवास राष्ट्रीय राजमार्ग, उज्जैन-बड़नगर राष्ट्रीय राजमार्ग, उज्जैन- आगर राष्ट्रीय राजमार्ग, उज्जैन- मक्सी राज्य राजमार्ग और उज्जैन-नागदा राजय राजमार्ग को सिंहस्थ क्षेत्र से जोड़ने के लिए प्रस्तावित 780 हेक्टेयर में सुविधा विकसित की जाएगी। इसी तरह 50 किमी के अंदर प्रस्तावित पार्किंग क्षेत्र 484 हैक्टेयर का होगा।

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