अधिकारियों की लापरवाही से विन्ध्य हर्बल को लाखों का नुकसान

अधिकारियों की लापरवाही से विन्ध्य हर्बल को लाखों का नुकसान

लघु वनोपज प्रसंस्करण की इकाई विंध्य हर्बल्स के जिम्मेदारों का ऐसा का

15 लाख की दवाएं एक्सपायर होने से पहले ही गोदामों में डंप

भोपाल। मुख्यमंत्री का सपना है कि मध्य प्रदेश लघु वनोपज प्रसंस्कण इकाई विंध्य हर्बल्स की उत्पादन क्षमता और उत्कृष्टता दोनों में इजाफा किया जाए ताकि देशभर में इसकी ब्रांड वैल्यू चमके। लेकिन, जिन अधिकारियों के हाथों में इसकी बागडोर है, वे कभी जानबूझकर तो कभी लापरवाह रवैये के चलते इस इकाई को हर तरह से नुकसान पहुंचाने में जुटे हैं। अब खुलासा हो रहा है कि 311 तरह की आयुर्वेदिक दवा निर्माण करने वाली विंध्य हर्बल्स में बीते एक साल के दरमियान 14 लाख 72 हजार रुपए कीमत की 13 तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां (कैप्सूल, चूर्ण, क्वॉथ और तेल बेस्ड फॉर्मूले) एक्सपायर्ड होने से पहले ही गोदामों के हवाले कर दी गईं। इसके कारण विंध्य हर्बल्स को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है तो दवाइयां किसी जरूरतमंद के काम भी नहीं आ पा रहीं।

पहले से ही गड़बड़ी
 भोपाल के बरखेड़ा पठानी क्षेत्र में चल रही विंध्य हर्बल्स की फैक्ट्री का रजिस्ट्रेशन 2005 में हुआ। इस लिहाज से 15 से 17 वर्षों के दौरान समय से पहले दवाइयां डंप करने के कारण अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है।

लापरवाही से पटे गोदाम
 डंप औषधियों में 1000 नग सफेद मूसली कैप्सूल 4.50 लाख रु., 1200 नग शिलाजीत कैप्सूल 3.60 लाख रु., 700 नग फलत्रिकादि क्वॉथ 1.19 लाख रु., 550 नग स्लिम क्वॉथ 79750 रु., 400 नग सिगरू कैप्सूल 54 हजार रु., 300 नग मधुमुक्ति कैप्सूल 25,500 रु., 1000 कालमेघ पंचाग चूर्ण 22 हजार रु. और 450 नग अश्वगंधा चूर्ण 54 हजार रु. है। यह बीते एक साल में फेंकी गई दवाएं हैं। सालों से इस लापरवाही के कारण दो से तीन गोदाम पटे हुए हैं।

नका कहना है
समय से पहले दवाइयां डंप करने की बारे में आला अधिकारियों को जानकारी दे दी है... वरिष्ठों को सब पता है। दवाइयां बर्बाद हो रही हैं... लेकिन कहीं से ऑर्डर आता तो देते।
- प्रशांत लखेरा, स्टोर प्रभारी, विंध्य हर्बल्स